दिल्ली में पल्स पोलियो की तरह पेट के कीड़े मारने का अभियान
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बताया कि यह गोलियां मुंह में अपने आप घुल जाती हैं। पेट में कीड़े समाप्त होने से बच्चों में खून की कमी, कुपोषण और शारीरिक तथा मानसिक विकास के अवरोध से जुड़ी बीमारियों का अंत हो जाएगा। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह और महिला एवं बाल विकास मंत्री प्रो. किरण वालिया ने कहा है कि सब मिलकर स्वस्थ बच्चों के माध्यम से स्वस्थ समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम तौर पर बच्चों के पेट में कीड़े होने से उनका विकास रुक जाता है। नर्सरी, केजी और प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों पेट के कीड़े की आशंका अधिक रहती है। इससे न सिर्फ शिक्षा पर बल्कि समग्र विकास पर प्रभाव पड़ता है। चाचा नेहरू सेहत योजना के अतिरिक्त निदेशक डा. जेपी कपूर का कहना है कि बच्चों को यह दवाई बेहिचक दी जा सकती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि एक अध्ययन से पता चला है कि 16.09 फीसदी से 83.6 फीसदी तक बच्चों के पेट में विभिन्न प्रकार के कीड़े पाए गए हैं।
एमसीडी स्कूलों के बच्चों में 18.86 फीसदी बच्चों के पेट में कीड़े की बात सामने आई है। यही वजह है कि 4000 स्कूलों और 10 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों पर अभियान शुरू किया जा रहा है। सरकार ने अभिभावकों से अपील की है कि मंगलवार को अपने बच्चों को स्कूल अवश्य भेजें। यह सुनिश्चित करें कि बच्चों को कीड़े मारने की दवाई दी गई है। दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां इतने बड़े पैमाने पर डि-वार्मिंग का अभियान चलाया जा रहा है।