हरियल कबूतरों ने पक्षी विहार में बनाया बसेरा
ट्रेरोन साइनीकोप्टेरा को पीले पंजों वाले खूबसूरत हरे कबूतर (हरियल) के नाम से भी जाना जाता है। फलों पर निर्भर रहने वाले हरे कबूतरों का इन दिनों डेरा नोएडा का ओखला पक्षी विहार बना हुआ है। करीब सवा सौ की संख्या में हरियल कबूतर पक्षी विहार में स्थित बरगद के पेड़ पर डेरा डाले हुए हैं। ओखला पक्षी विहार में खूबसूरत कबूतरों के अजब रंग को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आ रहे हैं। इनकी खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करने की ललक इन पर्यटकों को ओखला पक्षी विहार खींच ला रही है। हालांकि, अपने रंग के अनुरूप यह बरगद के विशालकाय पेड़ के पत्तों पर कुछ इस तरह घुल मिल जाते हैं कि इनको देखना आसान नहीं होता।
‘हरियल’ महाराष्ट्र का स्टेट बर्ड है। ओखला पक्षी विहार के रेंजर जीएम बनर्जी ने बताया कि कई अलग-अलग प्रजातियों के होते हैं और फलों को अपना आहार बनाते हैं। बरगद के पेड़ पर निकलने वाले लाल रंग का फल (गूलर) इनका विशेष आहार है। रेंजर ने बताया कि इस वर्ष यह पक्षी बड़ी संख्या में ओखला पक्षी विहार पहुंचे हैं। आमतौर पर नीले कबूतरों के स्थान पर हरे कबूतरों का दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में दिखना अपवाद है। हरियल घने जंगलों में एकदम सुबह के समय पेड़ की टहनियों में बैठे दिखाई देते हैं। इन कबूतरों के मार्च के अंत तक पक्षी विहार में रहने का अनुमान है।
रेंजर बनर्जी ने बताया कि हरियल कबूतर ओखला पक्षी विहार में सुरक्षित रूप से अंडे देने आए हैं। यह जनवरी में अंडे देते हैं। 21 से 25 दिनों के बीच में अंडे में से बच्चे निकल आते हैं। इस दौरान नर कबूतर खाने और अन्य इंतजाम रखता है और घोंसले के पास हमेशा बना रहता है। वहीं, मादा कबूतर घोंसला छोड़कर नहीं जाती है। लगभग दो महीने या मार्च तक ये बच्चे घोंसले से निकलकर उड़ने के काबिल हो जाएंगे।