शाही इमाम व मुलायम के रिश्ते से खफा हुए आजम खां
सूत्रों
ने
बताया
कि
लखनऊ
में
शाही
इमाम
के
साथ
मुलायम
की
प्रेस
कांफ्रेंस
में
उन्हें
भी
आमंत्रित
किया
गया
था
लेकिन
वो
इसमें
शामिल
नहीं
हुए।
आजम
के
रुख
के
बाद
सपा
और
शाही
इमाम
के
बीच
हुई
दोस्ती
पर
सपा
में
ही
बिखराव
होता
दिखाई
देने
लगा
है।
बुखारी
ने
मुसलमानों
से
न
केवल
सपा
को
वोट
देने
की
अपील
की
है,
बल्कि
कांग्रेस
पर
मुसलिम
विरोधी
होने
के
तीखे
आरोप
भी
लगाए।
लखनऊ में मुलायम के साथ बैठकर उन्होंने बटला कांड से लेकर मुसलिम आरक्षण के मसले पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया और कहा कि मुसलमानों को पिछड़ेपन के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार कांग्रेस है। बकौल बुखारी कांग्रेस ने मुसलमानों को जान-माल की तबाही, बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी अपमान और मायूसी के सिवाय कुछ नहीं दिया। प्रदेश में मुसलिम आबादी 20 फीसदी से अधिक मानी जाती है और 130-135 विधानसभा क्षेत्रों में मुसलिम मतों का झुकाव चुनाव नतीजों को प्रभावित करने वाला होता है।
शाही इमाम अहमद बुखारी की अपील से सपा के मुसलिम नेता आजम खां खफा हो गएहैं। आजम ने बुखारी को सियासी मामलों में दखल नहीं देने की सलाह देते हुए कहा कि राजनेताओं को अपना काम करने दें। उन्होंने कहा, जिन लोगों को काम राजनीति नहीं है, उन्हें बेवजह राजनीति में टांग नहीं अड़ानी चाहिए। उन्होंने रामपुर में मीडिया से बातचीत में कहा कि जिस शख्स को मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के आरक्षण का अर्थ नहीं मालूम, वह इस मामले में क्यों बोलते हैं।