क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

आजादी के 64 साल बाद भी सड़क पर गुजरती हैं रातें

Google Oneindia News

Supreme Court
दिल्ली (ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट ने कडा़के की ठंड में सड़कों पर सोने के लिए मजबूर लोगों के लिए सरकारों की संजीदगी न होने पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा आजादी के 64 साल हो चुके हैं लेकिन पूरे उत्तर भारत में लाखों लोगों के पास छत के नीचे रात गुजारने की कोई जगह नहीं है। इतनी भीषण ठंड में उनकी रातें सड़कों पर गुजरती हैं। हालांकि इस मामले में यूपी का रिकार्ड संतोषजनक है।

आजादी के 64 साल बाद भी लोग फुटपाथ पर सो रहे हैं, यह चिंता की बात है। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर गरीब-बेघर लोगों को रैनबसेरे मुहैया कराने के आदेश का अनुपालन का निर्देश देते हुए की। अदालत ने जीने के अधिकार का हवाला देते हुए स्थायी ढांचा बनाने में विफल रही उत्तर भारत की प्रदेश सरकारों को तीन सप्ताह के भीतर अस्थायी रैनबसेरों की व्यवस्था कर बेघरों के जीवन की सुरक्षा करने का निर्देश दिया है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि देश के संविधान में अनुच्छेद 21 में जीवन जीने का अधिकार प्रदान किया गया है। खास तौर से उत्तर भारत के राज्यों में ठंड मार्च तक जारी रहने की संभावना है। ऐसे में राज्यों को गरीब लोगों के जीवन की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए और तत्काल कदम उठाने चाहिए।

जस्टिस दलवीर भंडारी व जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि अदालत खासकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार को कम से कम गरीबों के जीवन की सुरक्षा के लिए अस्थायी छत उपलब्ध कराएं। पीठ ने इन राज्यों को तीन सप्ताह में आदेश का पालन कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

पीठ ने हालांकि उत्तर प्रदेश की ओर से दिए गए जवाब से संतोष जताते हुए कहा कि 139 रैनबसेरों के लक्ष्य हासिल करने में राज्य सरकार ज्यादा दूर नहीं है। उसने 80 स्थायी और 76 अस्थायी रैनबसेरे बना लिए हैं। लेकिन यह ध्यान देना जरूरी है कि बेघर लोगों की पहुंच उन रैनबसेरों तक है भी या नहीं। अदालत ने महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के अधिकारियों को आदेश का अनुपालन करने में विफल रहने पर कड़ी फटकार लगाई। पीठ ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस संबंध याचिका दायर करने वाले एनजीओ के सदस्यों को मिलने को कहा है।

गौरतलब है कि अदालत ने गैर सरकारी संगठन और सरकारी अधिकारियों के सदस्यों की संयुक्त शीर्ष सलाहकार समिति को बेघर लोगों से संबंधित मुद्दों विचार-विमर्श करने और रिपोर्ट पेश करने को कहा था। इस संबंध में कई राज्य सरकारों की ओर से उठाए गए कदमों से असंतोष जताते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें बेसहारा लोगों तक बिना समय गंवाए राहत पहुंचाने का निर्देश दिया है।

Comments
English summary
People sleeping on pavements and footpaths even after 64 years of independence is a matter of concern, the Supreme Court said while asking States to comply with its order to provide roofs to the homeless facing threat to their lives while sleeping in open and intense cold.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X