हरियाणा: सत्संग से लौट रहे नौ लोगों की सड़क हादसे में मौत
डेरा से लौट रहे थे फतेहाबाद
नरसीदास का बड़ा लड़का जितेंद्र व छोटा लड़का सुरेंद्र अपनी पत्नियों व बच्चों के साथ सिरसा डेरा से अपने घर फतेहाबाद लौट रहे थे। जब उनकी गाड़ी गिल्लाखेड़ा गांव के पास पहुंची तो सामने से आ रहे डंफर से टक्कर हो गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि गाड़ी में सवार सभी 9 लोगों की मौत हो गई। गाड़ी से टकराने पर बेकाबू हुआ डंफर भी कुछ दूर जाकर पलट गया जिससे डंफर का चालक भी घायल हो गया। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शवों को निकालकर सामान्य अस्पताल फतेहाबाद में पहुंचाया। उधर घटना की सूचना मिलते ही फतेहाबाद के डीसी एमएल कौशिक व एसपी भी अस्पताल में पहुंच गए।
अधिकारियों
ने
सभी
शवों
का
पोस्टमार्टम
कराने
के
बाद
शव
परिजनों
को
सौंप
दिए
जिनका
शिवपुरी
स्थित
श्मशान
घाट
में
गमगीन
माहौल
में
अंतिम
संस्कार
किया
गया।
अंतिम
संस्कार
में
मुख्य
संसदीय
सचिव
प्रहलाद
सिंह
गिल्लाखेड़ा,
पूर्व
विधायक
दूड़ाराम,
आईजी
हिसार,
डीसी,
एसपी
सहित
बड़ी
संख्या
में
शहर
के
लोग
शामिल
हुए।
अनाजमंडी
रही
बंद
हादसे में नरसीदास गोयल के पूरे परिवार के खत्म होने पर पूरा फतेहाबाद शहर शोक में डूब गया। नरसीदास की फतेहाबाद मंडी में आढ़त की दुकान है और मंडी के पीछे विशाल मेगामार्ट के पास निवास स्थान है। नरसीदास की पत्नी की भी कुछ साल पहले असामयिक मौत हो गई थी। नरसीदास लंबे समय से डेरा सच्चा सौदा सिरसा से जुड़े हुए हैं और वे वर्तमान में डेरा की 25 सदस्यीय कमेटी के सदस्य है। अब नरसीदास गोयल ही परिवार में अकेले रह गए हैं। सभी लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे थे।
काश!
सुरेंद्र
मेरा
कहना
मान
लेता
काश!
सुरेंद्र
ने
मेरा
कहना
मान
लिया
होता
तो
आज
मेरा
अंश
जिंदा
होता
लेकिन
होनी
को
कुछ
और
ही
मंजूर
था।
मेरा
तो
संसार
ही
उजड़
गया।
ये
शब्द
नरसीदास
गोयल
के
मुख
से
बार-बार
निकल
रहे
थे।
उन्होंने
कहा
कि
मैने
सुरेंद्र
को
गत
रात्रि
को
ही
सिरसा
से
फतेहाबाद
जाने
के
लिए
कहा
था
लेकिन
सुरेंद्र
ने
ये
कहा
कि
मैं
आज
यहां
डेरा
में
सेवा
करुंगा
और
कल
सुबह
चला
जाऊंगा।
मुझे
क्या
पता
था
कि
आज
सुबह
सड़क
पर
मेरे
बच्चों
की
मौत
उनका
इंतजार
कर
रही
थी।
मुझे पता होता तो मैं रात को जबरन ही उन्हें फतेहाबाद भेज देता। नरसी दास के आंसू थामे नहीं थम रहे थे। उधर शहर के बालवाटिका स्कूल में आज अवकाश कर दिया क्योंकि मृतकों में शामिल स्तुति, आयुष व आस्था बालवाटिका स्कूल में ही पढ़ते थे। स्कूल प्राचार्या रोजी महतानी ने बताया कि उन्होंने स्कूल की छुट्टी कर दी है।