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जुबान संभाल कर बोलें मायावती: चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। बसपा और उनके चुनाव चिह्न हाथी को ढ़कने का आदेश देने वाले चुनाव आयोग ने यूपीए सुप्रीमो मायावती को अपनी जबान पर काबू रखने को कहा है। एस वाई कुरैशी ने कहा कि मायावती एक वरिष्ठ नेता है। उन्हें मैं क्या कह सकता हूं? उनको बयान देने से पहले सोचना चाहिए था वो किसके बारे में क्या कह रही है?

गौरतलब है कि अपनी मूर्तियों और हाथी पर चले चुनाव आयोग के चाबुक पर पहली बार बोलते हुए मायावती ने कहा था कि चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी की एक नहीं सुनी, बस अपना फरमान सुना दिया। माया ने कहा था कि आयोग का फरमान एकतरफा है। उन्होंने आयोग पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। आयोग ने गलती की है।

भारतीय परंपराओ में हाथी को शुभ माना जाता है, हाथी से स्वागत कराया जाता है। लेकिन आयोग ने कहा था कि इससे बसपा का प्रचार हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि आयोग ने परंपराओं का भी अपमान किया है। आयोग का फैसला राजनीति से प्रेरित है।

जहां तक पार्टी के प्रचार की बात है तो आयोग को हाथी की ही तरह पंजा, कमल, हैडपंप सबको ढक देना चाहिए लेकिन चूंकि यह दलितों से नहीं जुड़े हैं इसलिए आयोग ने इन्हें नहीं ढ़का।

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English summary
Uttar Pradesh elections: BSP’s allegations ill-founded, says Election Commission.
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