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यूपी चुनाव के बाद ही कुशवाहा के बारे में मुंह खोलेगा आरएसएस

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दिल्ली (ब्यूरो)। बसपा से निष्कासित बाबू सिंह कुशवाहा को पार्टी में शामिल किए जाने के मसले पर भाजपा में अंदरुनी तौर पर जितनी हायतौबा मची हो पर इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इंतजार की नीति अपनाने का फैसला किया है। सूत्रों ने बताया कि आरएसएस बाबू सिहं कुशवाहा मामले पर नाखुश नहीं है बल्कि वह चुनाव के परिणाम पर नजर रखे हुए हैं जिसके बाद ही वह कुशवाहा के मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देगा। हालांकि पार्टी ने अंदरुनी तौर पर स्वीकार कर लिया है कि कुशवाहा को शामिल किए जाने से भाजपा को कम से कम यूपी में तो जरूर फायदा होगा।

उधर, बाबू सिंह कुशवाहा ने भी भाजपा के प्रति अपना फर्ज निभाना शुरू कर दिया है। फर्रुखाबाद में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि उन्होंने कहा कि बसपा में वे 27 साल रहे हैं। इस पार्टी में भ्रष्टाचार के वह प्रत्यक्षदर्शी गवाह हैं। एनआरएचएम घोटाले की अभी जांच चल रही है। समय आने पर वह अपना मुंह खोलेंगे। साथ ही उन्होंने भाजपा को पिछड़ा वर्ग का हिमायती बताते हुए उसे जिताने की अपील की। बाबू सिंह ने कहा कि भाजपा में उनकी श्रद्धा है। पिछड़ा वर्ग कोटे से मुस्लिमों को आरक्षण देने का विरोध अकेले भाजपा ने किया। वह आरक्षण के विरोध में नहीं हैं, लेकिन कोटे में कोटा के विरोधी हैं।

सूत्रों ने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन को खुला समर्थन देने वाले संघ ने कुशवाहा प्रकरण से दूरी बनाकर साफ संकेत दे दिए हैं कि उत्तर प्रदेश में वोटों की सियासत में वह भी भाजपा के पीछे ही खड़ा है। संघ का मानना है कि कुशवाहा प्रकरण से जो नुकसान होना था, वह तो हो चुका। अब इससे मिलने वाले चुनावी फायदे को गंवाना नहीं चाहिए। यही कारण है कि कुछ पत्रकारों से बातचीत के दौरान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने इसे भाजपा का अंदरूनी मामला बताते हुए पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। पर साथ ही यह कहने से नहीं चूके कि चुनावी गणित को देखते हुए राजनीतिक दलों को इस तरह से फैसले करने पड़ते हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि कुशवाहा के खिलाफ आरोप अभी तक साबित नहीं हुए हैं।

संघ भले ही खुद के राजनीति से दूर रहने का दावा करता हो, पर उसने भाजपा की तरह ही राजनीतिक रूप से सही होने के गुर सीख लिए हैं। मुस्लिम आरक्षण पर संघ की प्रतिक्रिया में इसे साफ देखा जा सकता है। मनमोहन वैद्य के अनुसार, संघ धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने का विरोधी है, पर यदि आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण दिया जाए तो उसे कोई एतराज नहीं होगा। मनमोहन वैद्य ने रबींद्रनाथ टैगोर के एक लेख का हवाला देते हुए भारत में विभिन्न धर्मो के सह-अस्तित्व की वकालत भी की।

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English summary
The Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) is in no mood to pose troubles for the BJP, which has been condemned by political parties across the spectrum for lapping up tainted Bahujan Samaj Party (BSP) ex-minister Babu Singh Kushwaha.
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