तूफानी रफ्तार पर सख्त कानून बनाए: सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस आरएम लोढ़ा व जस्टिस जेएस खेहर पीठ ने परेरा की जमानत को भी रद्द कर दिया है और उसे बाकी सजा काटने का आदेश दिया। याद रहे कि परेरा अभी तक सिर्फ दो माह जेल में रहा है। शीर्षस्थ अदालत के फैसले के बाद 25 वर्षीय मुंबई के व्यवसायी परेरा को दो साल, दस माह और जेल में काटने होंगे। पीठ ने फैसले में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही लगातार बढ़ोतरी पर कानून में बदलाव की सिफारिश की।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि देश में हर साल लगभग एक लाख 35 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। इसका बहुत बड़ा कारण नशे में धुत होकर वाहन चलाना है। सड़क दुर्घटना के अभियुक्त पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (अ) के तहत मुकदमा चलता है। इस धारा में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है। शीर्षस्थ अदालत ने सरकार से इस कानून में संशोधन करने पर विचार करने को कहा है ताकि ताकि शराब के नशे में वाहन चलाकर लोगों को मौत के घाट उतराने वालों को सख्त सजा दी जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने गैर-इरादतन हत्या के जुर्म में आईपीसी की धारा 304 (भाग दो) के तहत परेरा को तीन साल के कारावास का दंड दिया।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने सितंबर 2007 में अभियुक्त को तीन साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट तथा हाई कोर्ट की ओर से गुनहगार पर किए गए पांच लाख रुपये के जुर्माने को बरकरार रखा।