हरियाणा के वेदप्रकाश ने एवरेस्ट की अम्मा दबलम पीक को किया फतह
वेदप्रकाश ने बताया कि नेपाल के आंकडों के अनुसार वे ऐसे पहले भारतीय हैं जिसने एवरेस्ट की अम्मा दबलम पीक को फतह किया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी वे इसी वर्ष 2011 में नेपाल में पडने वाली एवरेस्ट की तीन अन्य चोटियों को फतह कर चुके हैं। इनमें 6163 मीटर ऊंचाई की आईलेंड पीक, 5356 मीटर ऊंचाई की एवरेस्ट बेस कैंप तथा 5550 मीटर ऊंचाई की काला पत्थर पीक शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नेपाल के अलावा वे भारत में पडने वाली एवरेस्ट की चोटियों में से बालचंद्रा (ऊंचाई 15500 फीट) तथा सेतीधार (ऊंचाई 17200 फुट) को भी फतह कर चुके हैं।
वेदप्रकाश ने बताया कि हरियाणा सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर उन्होंने एवरेस्ट पर विजय हासिल की है। इसके लिए उन्होंने मनाली के अटल बिहारी इन्च्टयूट आफ माऊंटेनियरिंग से बेसिक कोर्स तथा एंडवासंड कोर्स किया। उन्होंने बताया कि कोर्स करने के बाद भारतीय चोटियों की चढाई की और जब उन चोटियों पर उन्हें विजय मिली तो उनका मनोबल बढता गया। इसके बाद उन्होंने नेपाल में पडने वाली एवरेस्ट की दुर्गम चोटियों पर भारत का झंडा फहराने का मन बनाया और उसमें भी कामयाबी हासिल की।
उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार पर्वतारोहियों को बढावा दे रही है और इसी से प्रभावित होकर उनमें पर्वतारोही बनने की जिज्ञासा जागृत हुई। हालांकि पेशे से वे डीटीसी में चालक के पद पर हैं लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने बताया कि एवरेस्ट पर चढने के लिए उन्हें अपने विभाग से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला और सारा खर्च उन्होंने स्वयं वहन किया है। वित्तीय सहायता तो दूर उनके विभाग ने एवरेस्ट फतह करने के लिए छुट्टियां तक नहीं दी। उन्होंने एवरेस्ट फतह के लिए लगे लगभग 6 लाख रुपए की राशि अपनी पत्नी के भविष्य निधि कोष तथा अपने भाईयों से लेकर जुटाई क्योंकि सिर पर एवरेस्ट को फतह करने का जूनुन सवार था।
इतिहास एवं राजनीतिक शास्त्र में स्नातक वेदप्रकाश पहले भी दर्जनों बार कब्बड्डी तथा खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी खेलों में बहुत रूचि रही है और वे आठवीं कक्षा से ही खो-खो में वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे हैं। वेदप्रकाश ने अपनी दसवीं तक की पढाई गांव दुब्बलधन माजरा के राजकीय स्कूल से की और दस जमा दो कक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बेरी से 1998 में उत्तीर्ण की थी। वेदप्रकाश ने बताया कि उनके दो बेटे अमन व निश्चल हैं जिनकी आयु क्रमश: 12 वर्ष व 8 वर्ष है। वे अपने बेटों को भी पर्वतारोही बनने के लिए प्रेरित करेंगें क्योंकि इसमें काफी रोमांच हैं।