सरकार ने एफडीआई को डाला ठंडे बस्ते में
किराना स्टोर में विदेशी निवेश के मामले पर कांग्रेस ने विरोधी पार्टियों को मनाने की कोशिश की। विरोधी पार्टियों ने इस मामले में अपनी हामी नहीं भरी। इसके विरोध में विरोधी पार्टियों ने संसद की कार्रवाई एक हफ्ते तक नहीं चलने दी। इस मामले में सरकार ने जब प्रमुख घटक दल तृणमूल कांग्रेस और डीएमके से बात की तो वे भी इस पर राजी नहीं हुए। जिस वजह से इस मामले में कांग्रेस अकेली पड़ गई। इतना ही नहीं अगर इस बिल पर संसद में प्रस्ताव लाया जाता तो सरकार के गिरने तक की नौबत आ सकती थी। संसद में ज्यादा सांसद इस बिल के विरोध में हैं।
एफडीआई पर विरोधी पार्टियों सहित अपने घटक दलों को मनाने के तमाम हथकंडे अपना चुकी कांग्रेस पार्टी अब मजबूरी में इसे वापस ले रही है। इस मामले में कांग्रेस पार्टी को किसी का भी साथ नहीं मिला। यहां तक की अन्ना हजारे ने भी एफडीआई मामले पर कांग्रेस पार्टी की खिंचाई की थी। सरकार अब आने वाले समय में होने वाले 5 राज्यों के चुनावों से पहले जनता को विरोध नहीं चाहती है जिस वजह से उसने मुश्किलों का सबब बने इस बिल को फिलहाल के लिए टालने का फैसला किया है।