न्यूज चैनलों को लेकर सरकार पर बरसे जेटली
हाल में कैबिनेट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को अधिकार दिया है कि कोई न्यूज चैनल पांच से अधिक बार ब्राडकास्ट कानून का उल्लंघन करता है तो उसका लाइसेंस रद किया जा सकता है। जेटली ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह फैसला असंवैधानिक है। लाइसेंस तभी रद होना चाहिए जब राष्ट्र की सार्वभौमिकता या किसी दूसरे देश से संबंध जैसे सवाल खड़े हो जाएं। या राष्ट्रद्रोह जैसा मामला कोई बने। अरुण जेटली ने कहा कि जिस तरह यह फैसला किया गया है उससे सरकार को खुली छूट मिल गई है कि वह पहले किसी को दोषी करार दे और फिर उससे लाइसेंस छीन ले। यह प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात है।
आपको बता दें कि शुक्रवार को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा था कि इलेक्ट्रानिक मीडिया में पुराने दिशा निर्देशों का फायदा उठाकर कई लोग उचित उद्देश्य के बजाय दूसरे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस क्षेत्र में आ गए हैं। इसलिए इस क्षेत्र मे नए नीति निर्देशों की जरूरत है। इसके अनुसार, सरकार गैर न्यूज चैनलों की अपलिंकिंग और विदेशी चैनलों की डाउनलिंकिंग के लिए पूंजी की सीमा डेढ़ करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये कर दी है।
वहीं न्यूज चैनलों के लिए यह सीमा तीन करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये तक कर दी गई है। टीवी चैनल के उच्च प्रबंधन जैसे अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक या प्रमुख कार्यकारी अधिकारी या मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) या मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) को समाचार और गैर समाचार चैनलों की मीडिया कंपनी में कम से कम तीन साल का अनुभव होना चाहिए। सभी टीवी चैनलों को अब अनुमति मिलने के एक साल के भीतर अपने चैनलों को संचालित करना पड़ेगा। वहीं परफॉर्मेंस बैंक गारंटी की राशि भी बढ़ा दी गई है। वहीं विदेशी चैनलों के लिए भी सख्त मानक बनाए गए हैं।