कुर्सी छोड़ने को येदुरप्पा का बीजेपी हाईकमान से मोलभाव
अवैध खनन घोटाले में फंसे येदुरप्पा को पार्टी हाईकमान ने शुक्रवार को ही इस्तीफा देने का फरमान दे दिया था। इसके बाद येदुरप्पा ने पार्टी हाईकमान के इस्तीफे की मांग को न मानते हुए इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था। येदुरप्पा ने इसके बाद अपने घर पर विधायक दल की मीटिंग भी बुलाई। जिससे साफ साबित हो रहा था कि वे विधायकों को अपने पक्ष में जुटाने में लगे हुए हैं। जिससे कि वे केंद्र में बीजेपी को चुनौती दे सकें और पार्टी हाईकमान उनसे इस्तीफे की मांग करना छोड़ दे।
कर्नाटक में राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो यहां येदुरप्पा की पकड़ काफी मजबूत है। येदुरप्पा ने केंद्र में बीजेपी को अपनी बात मनवाने के लिए 12 मंत्रियों और 50 विधायकों को अपने समर्थन में कर लिया है। दिल्ली से बेंगलूरु पहुंचे अरुण जेटली और राजनाथ सिंह मिलकर विधायकों से मिलकर नए मुख्यमंत्री चुनने की कवायद शुरू कर चुके हैं। उनकी यह भी कोशिश होगी कि वे दबाव बनाकर पार्टी हाईकमान द्वारा चुने गए नए नेता को मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठकार जाएं।
बीजेपी
पहले
ही
इस
मामले
में
अपनी
किरकिरी
करवा
चुकी
है।
अब
पार्टी
के
सामने
यह
भी
चुनौती
है
कि
वह
येदुरप्पा
को
भी
खोना
नहीं
चाहती
है।
पूरे
साउथ
में
बीजेपी
केवल
कर्नाटक
में
ही
अपनी
सरकार
बना
पाई
है
वो
भी
सिर्फ
येदुरप्पा
की
दम
पर।
राष्ट्रीय
स्तर
पर
किसी
भी
नेता
का
कर्नाटक
में
जमीनी
अस्तित्व
नहीं
है।
ऐसे
में
यह
देखना
दिलचस्प
होगा
कि
बीजेपी
हाईकमान
येदुरप्पा
को
राज्य
सरकार
में
कौन
सी
जगह
देती
है।
उनकी
कौन-कौन
सी
शर्तों
के
सामने
पार्टी
हाईकमान
घुटने
टेकती?