जापान सरकार का फुकुशीमा के रिएक्टर 3 में विस्फोट से इंकार
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जापान में इस समय द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुए परमाणु धमाके जैसे बहालात हो गए हैं। देश में चारों ओर अफरा-तफरी मची हुई है। सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या न्यूक्लिय रिएक्टर्स को संभालने में हो रही है। राहत एवं बचाव कार्य में एक लाख सैनिकों को लगाया गया है। छह लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। आपदा में अब तक जापान में 10 हजार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अभी भी हजारों लोग लापता हैं, जो सुरक्ष्त स्थान पर पहुंच चुके हैं उनके लिए साफ पानी और जरूरत की चीजों को मुहैया करा पाना सरकार के सामने चुनौती बना हुआ है।
जापान के सामने इस संकट की घड़ी में साथ देने के लिए पूरा विश्व साथ देने को तैयार खड़ा है। अमेरिका के विशेषज्ञों के दल के बाद रूस का भी एक बचाव दल सहायता के लिए जापान जा रहा है। राहत एवं बचाव कार्य में मदद करने के लिए 69 देशों ने हाथ बढ़ाया है। जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कान ने रविवार को कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। भूकम्प और सुनामी से मरने वालों की संख्या 3000 को पार कर गई है। जापान के मौसम विज्ञान विभाग ने रविवार देर रात सुनामी की चेतावनी हटा दी है।