क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ऑस्ट्रेलिया की पहली संत

By Super
Google Oneindia News
ऑस्ट्रेलिया की पहली संत

संत घोषित हुईं मैरी मैक्किलप की तस्वीर को स्पर्श करती एक तीर्थयात्री

रोमन कैथलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप बेनेडिक्ट ने ऑस्ट्रेलिया की पहली संत को आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी है.

मेलबॉर्न में जन्मी मैरी मैक्किलॉप ज़रूरतमंद बच्चों के साथ काम करती थीं जिनमें ऑस्ट्रेलिया के मूलनिवासी भी शामिल थे.

पोप ने उनके अलावा पांच अन्य व्यक्तियों को भी संत घोषित किया जिनमें कैनेडा के भिक्षु ब्रदर आंद्रे थे जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें लोगों को अच्छा करने की चमत्कारी क्षमता थी.

एक समय ऐसा आया जब मैरी मैक्किलॉप को जाति बाहर कर दिया गया. उन्होने यौन शोषण करने वाले एक पादरी की कलई खोलने की कोशिश की तो वरिष्ठ पादरियों से उनका टकराव हो गया. हालांकि बाद में उनकी बहाली कर दी गई.

रोम में धार्मिक सभा

पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने 50,000 भक्तों की उपस्थिति में रोम के सेंट पीटर्स चौक में छ संतों की घोषणा की.

इस आयोजन को देखने हज़ारों ऑस्ट्रेलियाई भी आए थे.

रोमन कैथलिक धर्म में किसी को संत तभी घोषित किया जाता है जब उसके हाथों दो चमत्कार हुए हों.

मैरी मैक्किलॉप के संबंध में ये कहा गया कि दो लोगों ने उनकी मदद की प्रार्थना की और वो कैंसर से मुक्त हो गए.

इनमें से एक हैं विरोनिका हॉपसन जो 1961 में लूकीमिया से उबर आईं.

उन्होने ऑस्ट्रेलियाई टेलिविज़न पर कहा, "मैं अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मुझे अपना जीवन जीने, परिवार बनाने, नाती-पोतों को पाने का अवसर मिला. ये एक चमत्कार ही है".

मैरी मैक्किलॉप ने जिस दूसरी महिला को कथित रूप से कैंसर से मुक्ति दिलाई वो हैं कैथलीन एवन्स. वो भी रोम में हुए इस आयोजन में शामिल हुईं.

मैरी की तरह कैनेडा के आंद्रे बेसैट को भी संत घोषित किया गया.

उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होने मॉंट्रिएल शहर में हज़ारों को अच्छा किया और वहां सेंट जोज़फ़्स ओरेटरी की स्थापना की.

टोरॉंटो से आई एक शिक्षिका ऐना डिलिडो ने कहा, "वो बहुत ही अद्भुत व्यक्ति थे. उन्होने हज़ारों को अच्छा किया".

संत बनने के चार चरण

ये प्रक्रिया व्यक्ति की मृत्यु के कम से कम पांच साल बाद शुरु की जा सकती है और वो भी उस व्यक्ति के धर्मात्मा होने के प्रमाणों की गहन समीक्षा के बाद.

पहले चरण में उस व्यक्ति को ईश्वर का सेवक घोषित किया जाता है.

दूसरे चरण में उसे 'पूजनीय' कहा जाता है.

फिर ये प्रमाणित करना होता है कि उनके हाथों कोई चमत्कार हुआ. इसके बाद उन्हे 'धन्य' घोषित किया जाता है.

चौथे चरण में एक अन्य चमत्कार की पुष्टि हो जाने के बाद उन्हे 'संत' घोषित किया जाता है.

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X