माओवादी उमाकांत की मौत पर ममता ने उठाए सवाल
माओवादी नेता उमाकांत महतो को संयुक्त सुरक्षा बल ने झारग्राम के एक जंगली इलाके में शुक्रवार को एक मुठभेड़ में मार गिराया था। इस मुठभेड़ की असलियत पर सवाल खड़ा करते हुए बनर्जी ने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया कि वह हत्याओं की साजिश रच कर 18 मई को हुए ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस रेल हादसे से संबंधित सबूत नष्ट कर रही है।
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इस हादसे में 148 लोग मारे गए थे। महतो के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बारे में अपनी शंका जाहिर करते हुए बनर्जी ने कहा, "केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस हादसे की जांच शुरू कर दी है। सीबीआई ने कुछ लोगों के नाम पूछताछ के लिए घोषित किए हैं। लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि वह (उमाकांत) मर चुका है। इसका मतलब मामले का सबूत समाप्त हो गया।"
हालांकि अपने बयान में ममता ने उमाकांत महतो का नाम नहीं लिया। तृणमूल कांग्रेस की नेता बनर्जी ने कहा, "मैं नहीं जानती कि कोई राज्य सरकार, जो इस तरह की साजिशें रच रही है, कैसे इस तरीके से काम कर सकती है।" सीबीआई ने ज्ञानेश्वरी हादसे के मुख्य आरोपी उमाकांत महतो के बारे में जानकारी देने के लिए 1 लाख रुपए के ईनाम की घोषणा की थी।
इस महीने में ये दूसरी बार है जब केंद्र मे मंत्री और पश्चिम बंगाल में विपक्ष की नेता ममता बैनर्जी ने सरकार पर माओवादियों को फर्जी मुठभेड़ में मारने का आरोप लगाया है। इसी माह 9 अगस्त को मिदनापुर के लालगढ़ में माओवादियों की एक रैली को संबोधित करते हुए ममता बैनर्जी ने जुलाई माह में आंध्र प्रदेश के जंगलों में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए माओवादी नेता और प्रवक्ता चेरुकुरी राजकुमार 'आजाद' की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की थी।
ममता
के
इस
बयान
से
केंद्र
सरकार
की
काफी
किरकिरी
हुई
थी
और
विपक्ष
ने
प्रधानमंत्री
से
ममता
के
बयान
पर
सफाई
देने
की
मांग
कर
डाली
थी।