संशोधनों के साथ परमाणु दायित्व विधेयक लोकसभा में पारित (राउंडअप)
केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने संशोधनों के साथ 'परमाणुवीय नुकसान के लिए सिविल दायित्व विधेयक, 2010' को पेश करते हुए कहा कि विधेयक में सभी विपक्षी दलों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आम सहमति बनाने की कोशिश की गई है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस विधेयक का उद्देश्य किसी देश विशेष को खुश करना नहीं बल्कि परमाणु दुर्घटना होने की स्थिति में पीड़ितों को 'त्वरित' मुआवजा दिलाने का तंत्र विकसित करना है।
चव्हाण ने कहा, "मुझे परमाणु विधेयक पेश करते हुए बेहद प्रसन्नता हो रही है। यह विधेयक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा वर्ष 2005 में शुरू की गई यात्रा का समापन करेगा।"
उन्होंने कहा, "हमने विधेयक की धारा 17 में नए संशोधन किए हैं। हम भाजपा और वामपंथी दलों की चिंताओं से सहमत हो गए हैं।"
चव्हाण ने कहा कि सरकार ने व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए और सभी राजनीतिक दलों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस विधेयक में 18 संशोधन किए हैं, जिन्होंने इस साल मई में संसदीय समिति को सौंपे गए विधेयक को असरदार बनाया है। सदन में अल्पकालिक चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित किए जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा, "हमने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चिंताओं को भी ध्यान में रखा है। परमाणु हादसे की स्थिति में मुआवजे की राशि 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये कर दी गई है। अमेरिका में भी यही व्यवस्था है।"
उन्होंने कहा कि इसका मकसद परमाणु दुर्घटना होने की स्थिति में पीड़ितों को फौरन मुआवजा दिलाना है।
भोपाल गैस हादसे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "हमने देखा कि भोपाल में क्या हुआ। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीड़ितों को मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरे न खानी पड़ें।"
चव्हाण ने कहा, "हम अभूतपूर्व राजनीतिक सर्वसम्मति कायम कर पाए हैं..इस बारे में कुछ टकराव हुआ लेकिन हम अपने मतभेद मिटाने में कामयाब रहे।"
उन्होंने कहा कि विदेशी आपूर्तिकर्ता इससे भयभीत हो सकते हैं कि यह कानून बहुत ही कड़ा हैं। "लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुकूल है।"
वामदलों की चिंताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा इस विधेयक का उद्देश्य किसी अन्य देश को खुश करना नहीं है। उन्होंने कहा कि हम बेहतरीन सौदा करना चाहते थे। इसलिए यह यकीनन किसी देश विशेष को प्रसन्न करने के लिए नहीं है।
विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने कहा, "हमने जिन बदलावों का सुझाव दिया है उन्हें स्वीकार किया जाए। हमें स्वाभिमान के साथ जीने की जरूरत है।"
उन्होंने कहा, "हम अमेरिका को हुक्म चलाने की इजाजत नहीं दे सकते।" उन्होंने कहा कि सरकार ने पर्याप्त बदलाव नहीं किए हैं और वह इस विधेयक को संसद में पारित कराने की कोशिश कर रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की नवंबर में प्रस्तावित भारत यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "आप देश के प्रति और अगली पीढ़ी की परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के प्रति उत्तरदायी हैं। इसलिए देश की आने वाली पीढ़ी को ध्यान में रखें, अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति को नहीं।"
उन्होंने कहा, "कृप्या देश को वह चीजें उपलब्ध कराएं जो यहां के लोगों को नहीं मिलीं। हमें सावधानी के साथ आपूर्तिकर्ताओं की जिम्मेदारी तय करनी होगी। आप संसद और हर एक व्यक्ति को धक्का दे रहे हैं। इस बात का प्रमाण विधेयक की धारा 17 बी है। हम सरकार द्वारा किए गए बदलावों की समीक्षा करेंगे।"
उन्होंने कहा, "यह बहुत गंभीर मसला है और हम इसे साधारण तौर पर नहीं ले सकते।"
पूर्व विदेश मंत्री ने विपक्ष की चिंताओं को दूर करने के सरकार के प्रयासों खासकर केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के प्रयासों की प्रशंसा भी की।
परमाणु दायित्व विधेयक पर घरेलू कानून का निर्माण भारत-अमेरिका नागरिक परणाणु समझौते के क्रियान्वयन का अंतिम चरण है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।