औद्योगिक उत्पादन दर घटकर 7.1 प्रतिशत हुई (लीड-1)
प्रमुख उद्योग संगठनों ने हालांकि आईआईपी में इस कमी को सामान्य बताया है। उनका कहना है कि ऊंचे आधार के चलते यह गिरावट देखी गई है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "औद्योगिक उत्पादन की दर में यह कमी अनुमान के मुताबिक ही है। यह अभी भी पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है।"
उन्होंने कहा, "इस कमी के बावजूद वर्ष 2010-11 में औसत औद्योगिक उत्पादन की दर 9-9.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।"
मई महीने के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की समीक्षा में उत्पादन की वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत अनुमानित की गई है।
आईआईपी आंकड़ों के मुताबिक कुल 17 उद्योगों में से 13 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। सूचकांक में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी वाले निर्माण उद्योग की वृद्धि दर घटकर 7.3 प्रतिशत हो गई है। इससे पहले के महीने में निर्माण उद्योग की वृद्धि दर 8 प्रतिशत रही है।
आईआईपी में निर्माण उद्योग की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है।
बेहतर प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों में टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की वृद्धि दर 27.4 प्रतिशत रही है जबकि पिछले साल के जून माह में इसकी वृद्धि दर 16.2 प्रतिशत थी।
खनन क्षेत्र की वृद्धि दर इस माह 9.5 प्रतिशत रही है जो कि पिछले साल के इसी माह में 14.2 प्रतिशत रही थी।
अप्रैल-जून तिमाही में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही है। पिछले साल की इसी तिमाही में यह दर 3.9 प्रतिशत थी।
फिक्की के महासचिव अमित मित्रा ने कहा, "निर्माण क्षेत्र में यह गिरावट अनुमान के अनुरूप ही है। उच्च आधार और मौद्रिक और राजकोषीय राहतों की वापसी के चलते यह गिरावट आई है।"
मित्रा ने कहा कि टैक्सटाइल और टमड़ा क्षेत्र के निर्यातों में गिरावट आई है जबकि घरेलू उपभोक्ता मांग मजबूत बनी हुई है जिससे आने वाली तिमाहियों में विकास दर मजबूत बनी रहेगी।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी औद्योगिक उत्पादन के उच्च बने रहने का अनुमान व्यक्त किया है उन्होंने कहा कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की वृद्धि दर इकाई के अंक में उच्च बनी रहेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।