भोपाल, 11 अगस्त (आईएएनएस)। भोपाल गैस हादसे के पीड़ितों के लिए बुधवार का दिन उम्मीदों का दिन था, क्योंकि लोकसभा में इस हादसे पर बहस जो होनी थी, मगर उन्हें नेताओं के रवैए पर गुस्सा आ रहा है। वे इस बात को लेकर नाराज हैं कि सभी दलों ने उनके दर्द को कम करने के लिए पहल करने की बजाय बहस के जरिए राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुषमा स्वराज, भोपाल के सांसद कैलाश जोशी, ग्वालियर की सांसद यशोधरा राजे सिंधिया और कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के रघुवंश प्रसाद, समाजवादी पार्टी (सपा) के मुलायम सिंह ने गैस हादसे और उसके बाद के हालात पर बहस में हिस्सा लिया, वहीं सरकार की ओर से रसायन व उर्वरक मंत्री श्रीकांत जेना एवं गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने विपक्ष के आरोपों का जबाव दिया।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार ने बुधवार को सदन में चली बहस पर कहा कि तमाम नेता गैस पीड़ितों के लिए जो अब तक करते आए हैं, वही कुछ हुआ है। गैस पीड़ितों को कभी भी इन नेताओं से ज्यादा उम्मीदें नहीं रही हैं। संसद में बहस थी, इसलिए कुछ उम्मीद जरूर लगा बैठे थे। बहस में नेताओं को गैस पीड़ितों के दर्द से ज्यादा राजनीतिक लाभ की चिंता थी, इसीलिए स्वास्थ्य, मुआवजा, आर्थिक हालात और रोजगार की ज्यादा चर्चा नहीं की गई।
वहीं भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजक साधना कार्णिक प्रधान का कहना है कि कांग्रेस हो या भाजपा दोनों को गैस हादसे के शिकार लोगों से ज्यादा अपने हितों की चिंता है। यही कारण है कि सदन में बहस के दौरान उन्होंने किसी ऐसी योजना का प्रस्ताव नहीं किया जो पीड़ितों के जख्म को कम कर सके। वह कहती हैं कि दोनों दल पूरी तरह डाव केमिकल और वारेन एंडरसन की जेब में हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि हकीकत में इन दलों के कई नेता हमारे देश में एंडरसन का दूसरा रूप हैं। सदन में देश को दिखाने के लिए गैस पीड़ितों का हमदर्द बनने की कोशिश करते हैं, मगर बड़ी रकम लेकर उनके लिए परामर्शदाता का काम करते हैं।
गैस हादसे का शिकार बहुत बड़ा वर्ग दिनभर टेलीविजन के सामने बैठा रहा कि शायद सदन में नेता उनके हित की बात करेंगे, मगर ऐसा हुआ नहीं। गैस पीड़ितों के लिए काम कर रही रचना ढींगरा का कहना है कि सदन में बहस के दौरान सारे नेता मुद्दे का राजनीतिकरणन करने की बात तो कर रहे थे, मगर वे खुद राजनीति के घेरे से बाहर नहीं निकले।
वह कहती हैं, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीड़ितों के मुआवजे से लेकर उनकी दीगर समस्याओं पर किसी ने जोर नहीं दिया। जहां तक राज्यसभा में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बयान का सवाल है तो उन्होंने पूरी तरह राजीव गांधी के बचाव की कोशिश की है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।