प्रणब सोमवार को विपक्षी नेताओं से मिलेंगे
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि सप्ताह भर से संसद में चले आ रहे गतिरोध को दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यह गतिरोध विपक्षी नेताओं द्वारा मूल्य वृद्धि पर काम रोको प्रस्ताव के तहत चर्चा कराए जाने की मांग के कारण बना हुआ है।
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष, दोनों के अपने अड़ियल रवैये को छोड़ने से गतिरोध दूर करने में मदद मिलेगी।
वामपंथी पार्टियों के नेताओं ने रविवार को संकेत किया कि वे गतिरोध दूर करना चाहते हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि उनकी पार्टी संसद में कई अन्य मुद्दे भी उठाना चाहती है और गतिरोध को लगातार बनाए रखना नहीं चाहती।
आचार्य ने आईएएनएस से कहा, "कई सारे मामलों पर चर्चा करना है।"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता तरुण विजय ने भी शनिवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा था, "दोनों पक्ष समाधान निकालने की कोशिश में है। कोई न कोई रास्ता निकल जाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि सोमवार को संसद सुचारू रूप से चलेगी और कामकाज होगा।"
भाजपा अभी तक लोकसभा में नियम 184 और राज्यसभा में नियम 168 के तहत चर्चा कराने की मांग पर अड़ी हुई थी। पिछले सप्ताह इसे लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा होता रहा और कार्यवाही बाधित हुई। इन नियमों के तहत मतदान का प्रावधान है, जबकि सरकार मतदान से बचने के लिए इन नियमों के तहत चर्चा कराना नहीं चाहती। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने गत दिनों विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया था।
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में नियम 193 के तहत चर्चा कराने को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बन सकती है। इसके तहत मतदान का प्रावधान नहीं है।
संसदी कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने गुरुवार को लोकसभा में कहा था कि सरकार महंगाई पर चर्चा को तैयार है लेकिन वह नियम 193 के तहत चर्चा चाहती है जिसमें मतदान का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने नियम 193 के तहत चर्चा कराने को लेकर सबसे पहले नोटिस दिया है।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष की सेहत के लिए हंगामा आगे और जारी रखना संभव नहीं होगा क्योंकि उसके अड़ियल रवैये के कारण संसद का कामकाज पिछले सप्ताह पूरी तरह बाधित रहा और कोई कामकाज नहीं हो सका। ऐसे में वह यदि अपने रुख पर अड़ी रही तो इसका जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं जाएगा। भाजपा नेता इसे समझ रहे हैं और इसलिए एक कदम पीछे हटने को तैयार हुए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।