किर्गिस्तान में फंसे भारतीयों को सरकार ने दिया मदद का भरोसा (लीड-2)
नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस)। किर्गिस्तान के हिंसा प्रभावित ओश और जलालाबाद शहरों में 100 से ज्यादा भारतीय फंसे हुए हैं और भारतीय दूतावास उन्हें सहायता उपलब्ध कराने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। इन भारतीयों में ज्यादा तादाद छात्रों की है।
विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि दक्षिण किर्गिस्तान में हिंसा प्रभावित जलालाबाद में 15 छात्र तथा ओश में 99 छात्र, एक प्रोफेसर और एक व्यवसायी फंसे हुए हैं।
मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "हमारा दूतावास वहां फंसे कई भारतीयों तथा विदेश विभाग और सुरक्षा एजेंसियों सहित किर्गिस्तान की सरकार के संबंधित विभागों के साथ निरंतर संपर्क बनाए हुए है।"
विदेश मंत्रालय ने कहा है, "भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।"
बयान में कहा गया है, "बिश्केक में हमारा दूतावास हालात पर करीबी से नजर रखे हुए है और हालात अनुकूल बनाने के लिए जल्द ही अतिरिक्त कदम उठाए जाएंगे।"
मीडिया की खबरों के अनुसार इस हिंसा में 117 लोग मारे जा चुके हैं और 1000 से ज्यादा घायल हुए हैं।
हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में फंसे छात्र अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं।
ओश से जहीर खान नाम के एक भारतीय छात्र ने टाइम्स नाउ चैनल को फोन पर बताया, "किसी भी छात्र की मौत किसी भी क्षण हो सकती है।"
जहीर ने बताया कि हिंसा की वजह से भारतीय छात्र घरों तक ही सिमटे हुए हैं।
अमृत दास नाम के एक अन्य छात्र ने बताया, "मेरे घर के साथ वाली इमारत जल रही है। हम लोग अपने घर में फंसे हुए हैं।" सड़कों पर झड़पों की वजह से छात्र अपने घरों को लौटने के लिए हवाई अड्डे भी नहीं पहुंच सकते।
जलालाबाद में पढ़ने वाली सुमिता ने बताया कि छात्रों के पास खर्च करने को पैसे भी नहीं बचे हैं।
छात्रों ने शिकायत की है कि अधिकारियों ने उनसे अपने घरों को अंदर से बंद रखने को कहा है। कुछ छात्रों का कहना है कि बिजली, पानी और घरेलू गैस की आपूर्ति बंद कर दी गई है।
मीडिया की खबरों के मुताबिक किर्गिस्तान में फैली जातीय हिंसा में कम से कम 117 लोग मारे गए हैं जबकि 1,000 से अधिक घायल हुए हैं।
किर्गिस्तान की अंतरिम सरकार ने पूरे जलालाबाद क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया है।
किर्गिस्तान की आंतरिक सरकार ने शनिवार को एक आदेश पारित करते हुए पुलिस और सुरक्षा बलों को दंगों पर काबू पाने के लिए दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का हुक्म दे दिया।
दुकानें और बाजार बंद रहने से खाद्यान्नों और दवाओं की किल्लत से दक्षिणी किर्गिस्तान में मानवीय स्थिति जटिल हो गई है।
सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) के अधिकारियों की सोमवार को बैठक होगी। जिसमें संकट को सुलझाने के तरीकों और हिंसा प्रभावित किर्गिस्तान में शांति रक्षक सेना की तैनाती की संभावना पर विचार किया जाएगा।
सीएसटीओ सोवियत संघ के विघटन के बाद बना सुरक्षा ब्लॉक है जिसमें किर्गिस्तान, रूस, आर्मीनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।