भोपाल गैस कांड : दोषियों को 2-2 साल की सजा (लीड-3)
पच्चीस साल पहले दो और तीन दिसम्बर, 1984 की रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी जहरीली मिथाइल आइसोसायनाइट गैस के कारण हजारों लोग मारे गए थे और अनेक स्थायी रूप से विकलांग हो गए थे। यह त्रासदी पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास में सबसे बड़ी घटना मानी जाती है।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मोहन पी. तिवारी की अदालत ने सोमवार को इस मामले में सभी आठ आरोपियों केशव महिंद्रा, विजय गोखले, किशोर कामदार, जे. मुकुंद, एस. पी. चौधरी, के. बी. शेट्टी, एस. वाई. कुरैशी और यूनियन कार्बाइड इंडिया को आईपीसी की धारा 304 ए (लापरवाही से मौत का मामला) और धारा 336, 337 तथा 338 (सभी लापरवाही से किसी की जान और निजी सुरक्षा को खतरे में डालने से संबंधित) के तहत दोषी करार दिया।
अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सोमवार को सजा भी सुनाई। अदालत ने 304 ए के तहत सात दोषियों को दो-दो साल की सजा और एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है जबकि आठवें दोषी के तौर पर यूनियन कार्बाइड कंपनी का नाम है इसलिए उसके ऊपर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
विभिन्न गैस पीड़ित संगठनों की सहयोगी वकील साधना पाठक ने संवाददाताओं को जानकारी दी कि कंपनी पर धारा 336 के तहत 250 रुपये का, 337 के तहत 500 रुपये और 338 के तहत 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है जबकि अन्य सात दोषियों को इन धाराओं के तहत क्रमश: 250 रुपये और तीन माह, 500 रुपये और छह माह तथा 1000 रुपये और दो साल की सजा सुनाई गई।
उल्लेखनीय है कि 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी में कुल नौ लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, जिनमें से यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन वर्क्स मैनेजर आर. बी. राय चौधरी की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई। मामले का मुख्य अभियुक्त वारेन एंडरसन फरार है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से यह प्रकरण एक दिसम्बर 1987 को न्यायालय मे पंजीबद्ध कराने के बाद आरोप पत्र दायर किया गया था। पीड़ितों का आरोप है कि इस मामले को सीबीआई लगातार कमजोर बनाने की कोशिश करती रही। यही कारण था कि प्रमुख गवाहों को छोड़कर कुल 178 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए, बाद में गैस पीड़ितों की मांग पर कुछ प्रमुख गवाहों को न्यायालय में गवाही देने के लिए बुलाया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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