इराकी असद को भारत में मिला नया जीवन
गुड़गांव, 14 मई (आईएएनएस)। इराक में एक कार दुर्घटना का शिकार बने 23 वर्षीय दलेर असद पिछले चार साल से जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहे थे लेकिन अब भारत आकर उन्हें नया जीवन मिल गया है। असद इराक में एक गैरेज में काम करते हैं।
गुड़गांव स्थित 'आर्टेमिस हेल्थ इंस्टीट्यूट' में सफल शल्य चिकित्सा के बाद असद के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। वह कहते हैं, "पहले मेरे 17 ऑपरेशन हो चुके थे। मेरे मस्तिष्क, आंखों और श्वासनली की शल्य चिकित्सा हुई है। केवल श्वासनली के ही 11 ऑपरेशन हो चुके थे।"
वर्ष 2006 में असद की एक कार दुर्घटना हुई थी। उस वक्त वह मरते-मरते बचे थे। उन्हें 20 दिन तक कृत्रिम जीवन-रक्षक प्रणाली में रखा गया। इस दौरान उनकी श्वास नली में दो असामान्य छेद हो गए और उन्हें भोजन लेने के दौरान परेशानी होने लगी। जब वह भोजन करते तो वह श्वास नली में फंस जाता था और सांस लेने में दिक्कत होती थी।
यद्यपि इराक और अन्य देशों में हुई उनकी मस्तिष्क व आंखों की शल्य चिकित्सा कामयाब रही लेकिन श्वास नली के ऑपरेशन में कामयाबी नहीं मिली।
असद ने आईएएनएस को बताया, "मैं जॉर्डन, सीरिया, लेबनान, तुर्की गया और वहां मेरी शल्य चिकित्साएं हुईं लेकिन ये सभी प्रयास असफल रहे। मैंने उम्मीद खो दी थी।"
असफल शल्य चिकित्साओं के बाद उनकी स्थिति खराब होती जा रही थी। एक ही स्थान के 11 ऑपरेशन होने के बाद जटिलताएं पैदा होने लगी थीं। इसके बाद असद भारत आए।
'आर्टेमिस हेल्थ इंस्टीट्यूट' में पिछले महीने कुशाग्र कटारिया, दीपक सरीन, हसन तेहरानी जैसे चिकित्सकों के एक दल ने उनकी शल्य चिकित्सा की।
असद ने कहा कि यह उनकी अंतिम उम्मीद थी और चिकित्सकों ने बताया कि यह चिकित्सा 90 प्रतिशत तक सफल रहेगी।
डॉ. कटारिया ने बताया कि असद की शल्य चिकित्सा चार घंटे तक चली थी और यद्यपि यह अलग तरह का मामला था लेकिन उन्हें सफलता की उम्मीद थी।
डॉ. सरीन ने कहा, "पूर्व में हुई असफल शल्य चिकित्साओं के चलते असद की गर्दन की आंतरिक आकृति पूरी तरह खराब हो गई थी। उनकी श्वास नली में दो असामान्य छेद थे। शल्य चिकित्सा चुनौतिपूर्ण थी लेकिन हमें सफलता का भरोसा था।"
असद को कुछ दिन पहले अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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