आचार्य महाप्रज्ञ का निधन, आडवाणी ने जताया शोक (लीड-1)
अणुव्रत आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले महाप्रज्ञ जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय के अध्यक्ष भी थे।
महाप्रज्ञ के निधन पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शोक जताया है। आडवाणी ने अपने शोक संदेश में कहा है, "आचार्य महाप्रज्ञ के अचानक निधन की खबर से मुझे और दुनिया के लाखों लोगों को धक्का लगा है।"
आडवाणी ने कहा, "आचार्य महाप्रज्ञ एक अद्भुत विद्वान और अच्छे वक्ता थे। वह एक जाने-माने लेखक थे। उन्होंने दर्शन, साहित्य, योग और धर्म पर 150 पुस्तकें लिखी है।"
आडवाणी ने कहा, "इस बात में कोई आश्चर्य नहीं कि कवि रामधारी सिंह दिनकर आचार्य महाप्रज्ञ को देश का दूसरा विवेकानंद कहते थे। उनके निधन से हमने एक महान साधक, मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक खो दिया है। मैं इस महान आत्मा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।"
ज्ञात हो कि आचार्य महाप्रज्ञ इन दिनों चातुर्मास पर थे। श्रद्धालुओं ने दोपहर दो बजे तक आचार्य महाप्रज्ञ का दर्शन किया। अचानक उनकी तबीयत खराब होने पर चिकित्सकों को बुलाया गया, लेकिन उनका निधन हो गया।
आचार्य महाप्रज्ञ का जन्म विक्रम संवत 1977 (1920) में आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी के दिन राजस्थान में टमकोर के चोरड़िया परिवार में हुआ था। पिता का नाम तोलारामजी और माता का नाम बालूजी था। बचपन में महाप्रज्ञ का नाम नथमल रखा गया था। बचपन में ही पिता का देहांत हो जाने के कारण माता बालूजी ने ही उनका पालन-पोषण किया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।