'जो कहा था, वही मानती भी हूं' : खुशबू (लीड-1)
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को विवादास्पद बयान देने वाली खुशबू के खिलाफ दायर सभी 22 मामलों को खारिज कर दिया। अदालत के इस फैसले से प्रसन्न खुशबू ने कहा, "आप देखिए कि हर सेलिब्रिटी को बिना किसी वजह के परेशान किया जाता है। यह एक तरह का उत्पीड़न है।"
एक समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं जानती हूं कि मैंने क्या कहा था। किसी महिला के लिए अकेले खड़ा रहना और यह कहना है कि मैंने जो कहा है उसी पर मैं यकीन करती हूं, आसान नहीं है।"
खुशबू ने दावा किया कि उनके बयान को एक तमिल समाचार पत्र ने गलत ढंग से पेश किया। उन्होंने विवाह पूर्व यौन संबंध और 'लिव-इन रिलेशनशिप' पर बयान एड्स एवं एचआईवी पर हो रही एक चर्चा के संदर्भ में दिया था। उल्लेखनीय है कि उनके बयान पर काफी विवाद खड़ा हुआ था।
इससे पहले प्रधान न्यायधीश न्यायमूर्ति के. जी. बालाकृष्णन और न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान की खंडपीठ ने खुशबू के खिलाफ दर्ज मामलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अभिनेत्री का बयान उनकी निजी राय थी और भारत का संविधान अभिव्यक्ति की आजादी देता है।
खुशबू ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती थी। वर्ष 2008 में उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ दर्ज मामलों से जुड़ी उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, "जब दो जवान लोग साथ रहना चाहते हैं तो इसमें अपराध क्या है? क्या इसमें अपराध का कोई मामला बनता है? साथ रहना कोई अपराध नहीं है। यह अपराध नहीं हो सकता।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।