न कांग्रेस से मतभेद, न आईपीएल में भूमिका : राकांपा (लीड-1)
राकांपा प्रवक्ता डी. पी. त्रिपाठी ने गुरुवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "आईपीएल विवाद से राकांपा नेताओं का कुछ भी लेना देना नहीं है। इसका कोई सबूत भी नहीं है।"
त्रिपाठी ने उन खबरों का भी खंडन किया कि ताजा विवाद के चलते कांग्रेस के साथ उसके संबंधों में तनाव आया है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के साथ कोई मतभेद नहीं है। हमारे बीच कोई तनाव नहीं है।"
त्रिपाठी ने कहा, "हमें नहीं लगता कि कांग्रेस राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को निशाना बना रही है।" उल्लेखनीय है कि आईपीएल विवाद में पवार के साथ-साथ केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल का भी नाम आया है।
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस राकांपा के साथ बड़े भाई की तरह बर्ताव कर रही है, इसके जवाब में उन्होंने कहा, "हां, कांग्रेस बड़े भाई की तरह है। लोकसभा में उनके 206 सदस्य हैं और हमारे नौ हैं। लेकिन जहां तक सरकार की बात है, हम साथ-साथ हैं।"
ज्ञात हो कि ताजा रिपोर्टों के मुताबिक प्रफुल्ल पटेल की बेटी पूर्णा पटेल आईपीएल में कनिष्ठ कार्यकारी पद पर कार्यरत है। आईपीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर रमन ने उसे एक ई-मेल किया था जिसे उसने अपने पिता के सचिव को भेज दिया।
सचिव ने इस ई-मेल को आईपीएल की दो नई फ्रेंचाइजी टीमों की बोली लगने की प्रक्रिया से पहले पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर को भेज दिया था। इस ई-मेल में कथित तौर पर आईपीएल की नई फ्रेंचाइजी टीमों की अनुमानित बोलियों का जिक्र था।
इस बारे में त्रिपाठी ने कहा कि सार्वजनिक दस्तावेजों के आदान-प्रदान में कुछ भी गलत नहीं है।
पवार की पुत्री और राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने इस मामले में पूर्णा पटेल का खुलकर बचाव किया।
इस विवाद से पूर्णा का नाम जुड़ने के संबंध में पूछे जाने पर सुले ने पत्रकारों से कहा, "वह एक अच्छी लड़की है...उसे विवादों में मत घसीटिए..वह युवा उद्यमी और योग्य है। वह तो महज 24 साल की है। उसे अपने मन मुताबिक काम करने का पूरा अधिकार है।"
प्रफुल्ल पटेल ने गुरुवार को इस बारे में सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने एक मित्र के लिए यह किया था।
उल्लेखनीय है कि आईपीएल से जुड़ा पूरा विवाद पिछले दिनों उस समय खड़ा हुआ जब मोदी ने कोच्चि फ्रेंचाइजी के सभी मालिकों के नाम ट्विटर पर सार्वजनिक कर दिए। इसमें एक नाम सुनंदा पुष्कर का भी था और इसी वजह से थरूर भी विवादों में आ गए और बाद में उन्हें मंत्री पद भी त्यागना पड़ा। सुनंदा थरूर की करीबी दोस्त हैं और इसे वह खुद स्वीकार कर चुके हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।