त्रिनिदाद के भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री ने राजनीति छोड़ी
पोर्ट ऑफ स्पेन, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। त्रिनिदाद और टोबैगो के भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री वासुदेव पांडे ने करीब साढ़े तीन दशकों के राजनीतिक जीवन के बाद राजनीति को अलविदा कह दिया।
पेशे से वकील पांडे वर्ष 1995 से 2001 तक प्रधानमंत्री थे। वह वर्ष 1976 से गुरुवार को भंग हुई नौवीं संसद त्रिनिदाद और टोबैगो के राजनीतिक परिदृश्य पर छाए रहे।
पांडे अपनी यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (यूएनसी) के आंतरिक चुनाव कराने से कई वर्षो से इंकार कर रहे थे। इस वर्ष जनवरी में हुए पार्टी के आंतरिक चुनाव में पूर्व अटार्नी जनरल कमला प्रसाद बिस्सेसर ने भारी बहुमत से पार्टी अध्यक्ष का चुनाव जीतकर पांडे को राजनीति से हटने के लिए विवश कर दिया।
पांडे अपनी पार्टी द्वारा आम चुनावों के नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए तय अंतिम तिथि मंगलवार तक ऐसा करने में विफल रहे। प्रधानमंत्री पैट्रिक मैनिंग ने तय समय से करीब 30 महीने पहले ही चुनाव कराने का फैसला किया है।
पांडे ने पहली बार वर्कर्स एंड फार्मर्स पार्टी की ओर से वर्ष 1966 में आम चुनाव लड़ा था लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा।
पांडे ने वर्ष 1976 में यूनाइटेड लेबर फंट्र का गठन किया और 36 में 10 संसदीय स्थान हासिल किए। वर्ष 1986 में पांडे नेशनल एलायंश फॉर रिकंस्ट्रक्शन (एनएआर) के सहसंस्थापक बने और पार्टी ने पीपुल्स नेशनल मूवमेंट की 30 वर्षो से जारी सत्ता को पलट दिया।
पांडे को विदेश मंत्री बनाया गया और प्रधानमंत्री ए.एन.आर.रॉबिंसन की अनुपस्थिति में कई बार उन्होंने प्रधानमंत्री पद का दायित्व संभाला।
यूएनसी ने वर्ष 1995 के आम चुनाव में 17 सीटें हासिल की और एनएआर की दो सीटों के समर्थन से वह त्रिनिदाद और टोबैगो के पहले प्रधानमंत्री बन गए।
पांडे को वर्ष 2006 में लंदन स्थित एक बैंक खाते की घोषणा में विफल रहने का दोषी ठहराकर कैद की सजा दी गई। उनकी सजा रद्द हो गई है और मामले की सुनवाई का इंतजार है। उन पर भ्रष्टाचार के कई अन्य आरोप लगे।
पांडे ने दो विवाह किए और उनकी चार पुत्रियों में से एक मिकेला राजनीति में हैं और भंग हुई संसद की सदस्य थीं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।