पितृत्व मामले में तिवारी को झटका, याचिका खारिज (लीड-1)
न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह की एक खंडपीठ ने शेखर को राहत देते हुए तिवारी की याचिका खारिज की। खंडपीठ ने कहा कि शेखर इस मामले की याचिका दिल्ली में दायर कर सकते हैं।
खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि तिवारी अब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल नहीं रहे और उनका आधिकारिक आवास अब दिल्ली में है। ऐसे में इस मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा की जा सकती है।
अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए शेखर की मां उज्ज्वला शर्मा ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं और यह हमारे लिए एक बड़ी जीत है।"
शेखर ने संवाददाताओं से कहा, "याचिका दायर करने का मेरा मकसद यह जानना था कि मेरा पिता कौन है। यह मेरा मौलिक अधिकार है।"
अब शेखर की याचिका पर सात अप्रैल को यह खंडपीठ सुनवाई करेगी। शेखर की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील पी. एस. पटवाली ने इस बात पर जोर दिया कि तिवारी द्वारा शेखर को बेटे के रूप में स्वीकार न किया जाना ही याचिका दायर किए जाने की मुख्य वजह है।
शेखर की ओर से दायर याचिका के अनुसार तिवारी वर्ष 1995 के बाद से उसकी तथा उसकी मां की उपेक्षा करने लगे और उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने उनसे मिलने से भी मना कर दिया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।