गोर्शकोव सौदे सहित परमाणु समझौतों पर हस्ताक्षर (राउंडअप)
दोनों पक्षों ने वर्षो के अपने आर्थिक संबंधों की सीमा को लांघते हुए अपने व्यापारिक रिश्तों को रक्षा सौदों से आगे ले जाने का निर्णय लिया। इसके साथ ही दोनों पक्षों ने तेल अन्वेषण, हीरा व्यापार और उर्वरकों के आयात पर भी समझौतों पर हस्ताक्षर किया।
दशकों से दोनों देशों के बीच संबंधों की बुनियाद रहे रक्षा संबंध में भी नई ऊंचाई आई है। दोनों पक्षों ने सैन्य उड्डयन समझौते पर तथा एक ऐसे सौदे पर हस्ताक्षर किया है, जिसके तहत रूस 29 मिग-29के लड़ाकू विमानों और एक बहुधंधी परिवहन विमान की आपूर्ति करेगा।
दोनों देशों ने बहु प्रतिक्षित विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव की कीमत को अंतिम रूप देकर द्विपक्षीय संबंधों में आई एक हल्की-सी दरार को मिटा दिया है। गोर्शकोव की कीमत 2.3 अरब डॉलर निर्धारित की गई है।
लगभग चार अरब डॉलर कीमत के नए रक्षा सौदों के साथ मास्को भारत के लिए सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया है।
दोनों पक्षों ने असैन्य अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किया।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रूसी प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन के साथ लगभग दो घंटे तक बातचीत की। इस दौरान असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, उच्च रक्षा प्रौद्योगिकी, हाइड्रोकार्बन, व्यापार और दूरसंचार के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने दोनों नेताओं की उपस्थिति में पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किया।
मनमोहन सिंह ने पुतिन को भारत-रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी का वास्तुकार बताया और कहा कि रूस के साथ संबंध हमारी विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ है।
सिंह ने कहा, "हम रूस को एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में मानते हैं।"
द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने के साथ ही दोनों पक्षों ने कई सारे क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। इन मुद्दों में आतंकवाद से मुकाबला, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की स्थिति, वाशिंगटन में होने वाले परमाणु शिखर सम्मेलन और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट शामिल थे।
दोनों पक्षों ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए एक व्यापक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किया। इस समझौते का बीज मनमोहन सिंह के दिसंबर में हुए मास्को दौरे के दौरान ही बो दिया गया था। यह समझौता दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग के और अवसरों को खोलने का वादा करता है।
दोनों पक्षों ने रूस द्वारा डिजाइन किए गए परमाणु रिएक्टरों के श्रृंखलाबद्ध निर्माण पर एक और समझौते पर भी हस्ताक्षर किया। इन समझौतों का अर्थ यह हुआ कि रूस कम से कम 12 और परमाणु रिएक्टरों का यहां निर्माण करेगा। इसके साथ ही रूस अपने अन्य परमाणु संपन्न प्रतिद्वंद्वियों, अमेरिका और फ्रांस को पीछे छोड़ दिया है।
रूसी परमाणु एजेंसी के प्रमुख सर्जे किरियेनको ने संवाददाताओं को बताया, "अभी तक यह स्पष्ट है कि 12 रिएक्टर निर्मित किए जाएंगे। लेकिन यह अंतिम आंकड़ा नहीं है।"
पुतिन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुंबई, बेंगलुरू और नई दिल्ली के व्यापारियों के साथ बातचीत में कहा, "यह हमारे संपर्क के प्रमुख, दूरगामी और आशाजनक क्षेत्रों में से एक है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।