भारत परमाणु समझौते से परमाणु अप्रसार प्रयासों में जटिलता नहीं : अमेरिका
वाशिंगटन, 6 मार्च (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की एक वरिष्ठ सहयोगी के अनुसार परमाणु सामग्री की आपूर्ति की शर्त के रूप में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के सुरक्षा मानकों की अतिरिक्त प्रोटोकोल के सार्वभौमिकरण के प्रयासों में भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते से जटिलता नहीं आएगी।
परमाणु अप्रसार पर ओबामा की विशेष प्रतिनिधि सुजान बर्क ने आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के जर्नल आर्म्स कंट्रोल टुडे से कहा, "मैं नहीं कह सकती कि इससे अतिरिक्त प्रोटोकोल को लागू करने के प्रयासों में जटिलता आएगी।"
भारत के सभी परमाणु संयंत्रों पर आईएईए के सुरक्षा मानकों को लागू नहीं करने के बावजूद परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) ने वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का रास्ता साफ करने के लिए भारत के साथ परमाणु व्यापार की अनुमति दी।
उन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के लागू होने की 40वीं वर्षगांठ पर एक साक्षात्कार में कहा कि परंतु अन्य देशों से एनपीटी के तहत जिम्मेदारियां उठाने के मुद्दे पर चर्चा के दौरान वे भारत-अमेरिका समझौते का मुद्दा उठाते हैं। एनपीटी पांच मार्च 1970 को लागू हुई।
बर्क ने कहा, "एनपीटी पर चर्चाओं के दौरान यह मुद्दा नियमित रूप से उठता रहा है और हमारी प्रतिक्रिया यह है कि इसे भारत को परमाणु अप्रसार संधि के नियमों के समीप लाने के रास्ते के रूप में देखा जाना चाहिए। इस समझौते के अंत में उनके अधिक परमाणु संयंत्र सुरक्षा निगरानी में होंगे। यह एक प्रेरणा है लेकिन चर्चाओं में अक्सर यह मुद्दा उठता है।"
बर्क ने साक्षात्कार में कहा कि एनपीटी की महत्वपूर्ण चुनौतियों में उत्तर कोरिया का संधि से बाहर निकलना और ईरान का परमाणु कार्यक्रम है।
परंतु उन्होंने कहा कि माहौल सुधरा है। इसका एक बड़ा कारण अमेरिका की बहुपक्षीय कूटनीति और राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा रखे गए नि:शस्त्रीकरण के प्रस्ताव हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या 3-28 मई तक होने वाले एनपीटी समीक्षा सम्मेलन में एक अंतिम प्रस्ताव पर सहमति बनेगी, बर्क ने कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से कहना चाहूंगी कि यदि एक बयान पर सहमति बनी तो यह बहुत सकारात्मक होगा।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।