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आखिर कहना क्या चाहते हैं हॉलब्रुक

By Jaya Nigam
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वाशिंगटन। अफगानिस्तान व पाकिस्तान में विशेष अमेरिकी दूत रिचर्ड हॉलब्रुक ने बीते मंगलवार को कहा था,"काबुल हमले के बारे में मेरा मानना है कि यहां भारतीयों को निशाना नहीं बनाया गया था।" अब वह अपने इस बयान से कन्नी काट रहे हैं। हॉलब्रुक ने अपने हालिया बयान में पिछले स्टेटमेंट को नकार दिया है। अब वह अफसोस जताते हुए कहते फिर रहे हैं उन्होने कभी नहीं कहा कि काबुल में भारतीय निशाने पर नहीं थे।

काबुल आतंकी हमले में 6 भारतीय घायलकाबुल आतंकी हमले में 6 भारतीय घायल

अपने पिछले बयान पर लीपीपोती करते हुए हॉलब्रुक बोले "मेरे बयान को लेकर हुई गलतफहमी का मुझे बेहद अफसोस है। लेकिन काबुल में हुए आतंकवादी हमले में छह भारतीयों की जान गई और दूसरे देशों के भी 10 नागरिक मारे गए।" ऐसे में मैं यह तो नहीं कह सकता कि वहां भारतीयों को निशाना नहीं बनाया गया लेकिन हमले का निशाना भारतीय थे, ये कहना थोड़ा मुश्किल था।

अब हॉलब्रुक का सेटेटमेंट आ रहा है कि "हम सभी जानते हैं कि भारतीय नागरिक आतंकवादियों के निशाने पर रहे हैं और अभी भी हैं। अफगानिस्तान में में भी भारतीय आतंकवादियों के निशाने पर हैं। मुझे काबुल हमले में मारे गए सभी लोगों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना है।"

हॉलब्रुक के बार-बार बयान बदलने से यह समझना मुश्किल हो रहा है कि आखिर वह कहना क्या चाहते हैं। साथ ही वह अचानक अपने बयान से क्यों पलट गए, ये भी आश्चर्यजनक है। आखिर ऐसा कौन सा दबाव है जिसके चलते हॉलब्रुक अपना कोई स्पष्ट नजरिया नहीं रख पा रहे हैं।

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