कनिष्क विमान बमकांड के दोषी पर नया मुकदमा (लीड-1)
गुरमुख सिंह
वेंकूवर, 3 मार्च (आईएएनएस)। वर्ष 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क विमान बमकांड में कैद की सजा पाने वाले और पिछले वर्ष रिहा हुए एकमात्र व्यक्ति इंदरजीत सिंह रेयत पर झूठी गवाही के एक अन्य मामले में मुकदमा चलेगा। बम विस्फोट से कनिष्क विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हुई थी।
रेयत पर मुकदमे की सुनवाई बुधवार से शुरू होगी।
मॉन्ट्रियल से नई दिल्ली आ रहे एयर इंडिया के विमान में 23 जून 1985 को आयरलैंड के तट के ऊपर हवा में हुए विस्फोट से उसमें सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई। इनमें अधिकांश भारतीय मूल के लोग थे।
खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों ने स्वर्ण मंदिर पर हुए सैनिक कार्रवाई के विरोध में इस हमले को अंजाम दिया था।
आतंकवादियों ने दो सूटकेसों में इन बमों को रखा था। वेंकूवर में इन्हें एयर इंडिया की एक उड़ान और टोक्यो की एक उड़ान में रखा गया। रेयत ने टोक्यो हवाई अड्डे पर बम विस्फोट का परीक्षण किया। इसके लिए उसे वर्ष 1991 में 10 वर्ष कैद की सजा दी गई। इसके बाद कनिष्क विमान बमकांड में शामिल होने के लिए उसे पांच वर्ष कैद की सजा दी गई।
कैद के दौरान उसने एयर इंडिया बमकांड के संदिग्ध आरोपियों रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बराड़ के मामलों में गवाही के दौरान झूठ बोला जिससे उनके बच निकलने में मदद मिली।
रेयत को झूठी गवाही का दोषी पाए जाने पर अधिकतम 14 वर्ष कैद की सजा हो सकती है।
इस मुकदमे से विमानकांड में मारे गए लोगों के परिवारों के घाव फिर हरे हो सकते हैं। इन लोगों का मानना है कि कनाडा की न्याय प्रणाली दोषियों को सजा दिलाने में विफल रही।
एयर इंडिया बमकांड से जुड़े मुकदमे वर्ष 2005 में समाप्त हुए और इन पर 13 करोड़ डॉलर की लागत आई। कनाडा के कानूनी इतिहास का यह सबसे खर्चीला मुकदमा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।