70 वर्षो से रोशन है यह बल्ब!
आसित श्रीवास्तव
लखनऊ , 13 जनवरी (आईएएनएस)। यह बल्ब सत्तर वर्ष पुराना है पर अभी भी यह रोशनी बिखेर रहा है। लखनऊ के निवासी गिरीश चंद्र गुप्ता ने इस बल्ब को अनमोल धरोहर की तरह संभाल रखा है, क्योंकि इससे उनके पूर्वजों की यादें भी जुड़ी हैं।
शहर के हुसैनगंज इलाके में अपने घर में दुकान चलाने वाले गुप्ता को इस धरोहर की महत्ता तब समझ में आई जब हाल में मीडिया में एक खबर आई कि इंग्लैंड में एक महिला के पास 65 साल पुराना बल्ब है और यह अभी भी रोशन है। गुप्ता कहते हैं, "मैंने इस बल्ब की महत्ता समझकर ही इसकी जगह सामान्य बल्ब लगा दिया है। इस बल्ब को मैंने सुरक्षित रख दिया है।"
इस बल्ब को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यह आज कल के बल्ब जैसा नहीं है। 100 वाट का यह बल्ब अपेक्षाकृत पतला है और इसका फिलामेंट ज्यादा लंबा है। आधुनिक बल्ब की तुलना में इस बल्ब में ज्यादा लूप (कुंडली) हैं। इसका आधार तांबे का है। यह बल्ब पूरी तरह रोशन होने में वक्त लेता है। यह अपेक्षाकृत मद्धिम पीली रोशनी बिखेरता है।
45 वर्षीय गुप्ता का दावा है कि उनके दादा दुर्गा प्रसाद ने बल्ब खरीदा था। वक्त के साथ इस पर लगा कंपनी का लेबल मिट चुका है। वह बताते हैं, "1938 में मेरे दादा जी कलकत्ता (अब कोलकाता) से लखनऊ आ गए। उन्होंने घर में यही बल्ब जलाया। मेरे पिता क़े सी. गुप्ता अक्सर यह कहा करते थे कि यह बल्ब तुम्हारे दादा जी की निशानी है, इसे संभालकर रखना। 1987 में इसी बल्ब की रोशनी में मैंने बीए पार्ट-1 की परीक्षा की तैयारी की।"
गुप्ता ने लिम्का बुक के अधिकारियों को इसकी सूचना दी है। उन्हें जवाब का इंतजार है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।