आतंकवादी घटनाओं में पूवरेत्तर में हुई सर्वाधिक मौतें
गुवाहाटी, 6 जनवरी (आईएएनएस)। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में वर्ष 2008 के दौरान आतंकवादी हमलों में सर्वाधिक मौतें हुई हैं। आतंकी हमलों में मरने वालों की संख्या के लिहाज से पूर्वोत्तर के राज्य जम्मू-कश्मीर से भी आगे निकल गए हैं। इस बात का खुलासा एक स्वतंत्र सुरक्षा विश्लेषण संस्था द्वारा हाल में जारी आंकड़ों से हुआ है।
पूर्वोत्तर के खासतौर से असम व मणिपुर जैसे राज्यों में पिछले वर्ष आतंकी हमलों में कुल 1,057 बेगुनाह मारे गए जबकि जम्मू-कश्मीर में पिछले वर्ष आतंकी हमलों में मरने वालों की संख्या 593 रही।
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (एसएटीपी) के अनुसार पिछले वर्ष असम में आतंकवादी घटनाओं में 372 मौतें हुईं थी, जबकि मणिपुर में 500 बेगुनाह मारे गए थे। कश्मीर में सर्वाधिक 539 लोगों की मौतें हुईं।
एसएटीपी का आंकड़ा बताता है कि वर्ष 2006 में पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकी घटनाओं में मरने वालों की संख्या 640 थी, जो वर्ष 2008 में 1,057 तक पहुंच गई।
गुवाहाटी विश्वविद्यालय में शांति व संघर्ष अध्ययन विभाग के समन्वयक नानी गोपाल महंत कहते हैं, "असम, मणिपुर व त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में यह स्थिति वाकई खतरनाक है। आतंकवादी, भारतीय सुरक्षा बलों के साथ आमने-सामने की लड़ाई के बदले, दहशत पैदा करने के लिए बेगुनाह नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।"
असम में 30 अक्टूबर को हुए बम विस्फोटों में लगभग 95 बेगुनाह मारे गए थे और 400 से अधिक घायल हो गए थे।
वर्ष 2008 में असम, मणिपुर व त्रिपुरा में कुल 70 बम विस्फोट हुए। इनमें से ज्यादातर भीड़ भरे बाजारों में हुए। ये हमले खासतौर से गैर असमी, हिंदी भाषी लोगों को निशाना बना कर किए गए।
मणिपुर में मानव अधिकारों के लिए काम कर रहे एक कार्यकर्ता ए. सिंह ने कहा, "पहले मणिपुर के आतंकी नागरिकों को निशाना नहीं बनाते थे लेकिन अब हम देख रहे हैं कि वे बाजारों में आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।"
आतंकवादी हमलों के मामले में वर्ष 2008 के डरावने आंकड़ों के अलावा असम में नए वर्ष की शुरुआत भी आतंकवादी हमले से हुई।
असम के प्रमुख शहर गुवाहाटी में पहली जनवरी को हुए बम विस्फोटों में छह लोग मारे गए और 50 घायल हो गए।
हमले के बाद राज्य के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने आईएएनएस को बताया था, "हम आतंकवाद का पूरी सख्ती के साथ मुकाबला करने के लिए दृढ़संकल्प हैं और इसके लिए राज्य में एक सख्त आतंकवाद निरोधक कानून लाने की कोशिश कर रहे हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।