हौसलों के पंख ने विशाल को बना दिया निशानेबाज
इंदौर, 29 अगस्त (आईएएनएस)। सफलता उन्हें ही मिलती है जिनके हौसले बुलंद होते हैं क्योंकि हौसलों के आगे बाधाएं भी बौनी पड़ जाती हैं। इसका प्रमाण विशाल गोयल हैं जो बचपन में ही दोनों हाथ गंवा चुका था। मगर उसके हौसलों को कुछ ऐसे पंख लगे कि वह निशानेबाज बन गया। उसकी तमन्ना जसपाल राणा बनने की है और वह दावा करता है कि अपंगता उसके लक्ष्य में बाधा नहीं बन सकेगी।
सीमा सुरक्षा बल के रेवती रेंज में चल रही नवमी कुमार सुरेन्द्र सिंह निशानेबाजी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए देहरादून के निशानेबाज 24 वर्षीय विशाल गोयल हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं। विशाल के दोनों हाथ नहीं हैं मगर एयर पिस्टल ऐसे चलाते हैं कि सभी दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते हैं।
विशाल के निशानेबाज बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। वे जब छह साल के थे तब क्रिकेट खेलते वक्त गेंदनुमा अनजानी वस्तु को उठा लिया जिसके फटने से उनके दोनों हाथ जाते रहे। जब वे पूरी तरह स्वस्थ्य हुए तो उन्होंने निशानेबाज बनने की ठानी। इसके लिए वे जसपाल राणा के पिता की देहरादून में चल रही अकादमी में जा पहुंचे।
अकादमी संचालक नारायण सिंह ने उसे प्रवेश देने से इंकार करते हुए कहा कि तुम्हारे हाथ नहीं हैं तो ट्रिगर कैसे दबाओगे। उन्होंने विशाल की परीक्षा लेते हुए उससे कहा कि वह पिस्टल में पैलेट ही भरकर दिखा दे। विशाल ने दोनों हाथ न होने के बावजूद पिस्टल में न केवल पैलेट भरे बल्कि ट्रिगर भी दबा कर दिखा दिया।
अकादमी संचालक नारायण सिंह विशाल से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने यहां न केवल दाखिला दिया, बल्कि उसे वह प्रोत्साहन भी दिया जिसकी उसे जरूरत थी। विशाल अब तक दस मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में कई जगह हिस्सेदारी कर चुका है। उसकी तमन्ना जसपाल राणा की तरह निशानेबाज बनकर देश के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की है। वह कहता है कि अकादमी के अलावा उसे अब तक कहीं से प्रोत्साहन नहीं मिला है और उन्हें लगता है कि यही कमी देश में अच्छे खिलाड़ी पैदा नहीं कर पा रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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