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नष्ट हो रहे हैं जोरासिक युग के जीवाश्म

By Staff
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राजमहल पहाड़ी(झारखंड), 26 जुलाई (आईएएनएस)। झारखंड के साहेबगंज जिले में लाखों वर्षो से संरक्षित रहे धरती के गर्भ में छुपे जोरासिक कालीन जीवाश्मों का खजाना बेतहाशा हो रहे खनन की वजह से तेजी से नष्ट हो रहा है।

झारखंड की राजधानी रांची से करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजमहल पहाड़ी क्षेत्र जीवाश्म संबंधी अध्ययन के लिए हमेशा से भूगर्भ विज्ञानियों और जीवाश्म वैज्ञानिकों को आकर्षित करता रहा है। पूर्वी भारत के इस हिस्से में कोयले के अकूत भंडार होने की वजह से यहां खनन कार्य भी बहुत ज्यादा होता है।

रांची विश्वविद्यालय के भूगर्भविज्ञान के प्रोफेसर विजय सिंह ने कहा कि राजमहल क्षेत्र में पौधों के जीवाश्म दुर्लभ हैं। लाखों वर्ष पहले हुए ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान वनस्पति और जीव-जंतु नष्ट हो रहे जीवाश्मों में तब्दील होते चले गए।

सिंह ने आईएएनएस को बताया, "ये जीवाश्म खनन और सड़क निर्माण गतिविधियों की वजह से नष्ट हो रहे हैं। उनके संरक्षण के लिए कोई तरीका ईजाद किया जाना चाहिए।" यहां ग्लॉसोपेट्रिस, गेंग्मोपेट्रिस, वर्टेबरारिया और नेएगराथियोपसिस जैसे जीवाश्म मुख्य रूप से पाए जाते हैं।

रांची विश्वविद्यालय के पर्यावरण एवं जल प्रबंधन विभाग में भूगर्भ विज्ञानी एवं व्याख्याता नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि झारखंड में जोरासिक युग के लिकोसिलोन इंडीकम, क्लेडोफेलबिस लोबाटा आदि जैसे जीवाश्म भी मिलते हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र से डायनासोर के पदचिन्हों से मिलते-जुलते निशान भी मिले हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार की बेरूखी की वजह से ये जीवाश्म नष्ट हो रहे हैं। बेतहाशा खनन, क्रैशर के इस्तेमाल और सड़क निर्माण की वजह से इन जीवाश्मों के नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

जब बिहार से झारखंड अलग किया गया था, तो सरकार ने कहा था कि वह यहां के जीवाश्मों को संरक्षित रखने के लिए इस क्षेत्र को 'जोरासिक पार्क' में तब्दील करेगी। हालांकि यह योजना अभी तक वास्तविकता का रूप नहीं ले पाई है।

उधर सरकार ने बहुत सी कंपनियों को क्षेत्र में खनन, भवन निर्माण में काम आने वाले चिप्स बनाने के लिए पत्थर तोड़ने वाली क्रैशर इकाइयों को मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं, ट्रकों की आवाजाही सुगम बनाने के लिए जीवाश्मों पर रोड रोलर चलाने की भी इजाजत दे दी गई है।

इस प्राकृतिक पर्यावास को बचाने के लिए कुछ जनजातियां अवश्य प्रयासरत हैं। तारा गांव के गंगू पहाड़िया ने आईएएनएस को बताया, "हम अपने पर्यावरण को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वैज्ञानिकों ने हमें बताया है कि यहां मिलने वाले जीवाश्म दुर्लभ हैं और खनन से वे नष्ट हो जाएंगे।"

सरकार का कहना है कि वह जीवाश्मों के महत्व से अवगत है और वह उन्हें संरक्षित करने का प्रयास करेगी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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