युवाओं को प्रेरित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं: (ए पी जे अब्दुल कलाम का विशेष लेख)
नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। मुझे जरा भी अहसास नहीं हुआ कि 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति भवन छोड़े मुझे एक वर्ष बीत गया। यह अरसा मेरे लिए बहुत व्यस्तता से भरपूर रहा। मैंने इस दौरान 12 राज्यों और नौ देशों की यात्रा की।
नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। मुझे जरा भी अहसास नहीं हुआ कि 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति भवन छोड़े मुझे एक वर्ष बीत गया। यह अरसा मेरे लिए बहुत व्यस्तता से भरपूर रहा। मैंने इस दौरान 12 राज्यों और नौ देशों की यात्रा की।
यहां यह बात गौर करने लायक है कि मैं अपने पास आए निमंत्रणों में से केवल 10 प्रतिशत ही स्वीकार कर पाया। इस दौरान मैंने छात्रों के साथ अपना संवाद बढ़ाया और अब तक मैं विभिन्न आयु वर्ग के 10 लाख छात्रों से मिल चुका हूं। विदेश के 19 विश्वविद्यालयों के छात्रों और अध्यापकों से मुलाकात का उपयोग मैंने सामाजिक और तकनीक से संबंधित शोध क्षेत्रों में भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ उनके संपर्क स्थापित करने के लिए किया।
मैंने मेरठ, अलीगढ़, खुर्जा, पंतनगर, मुरादाबाद, गांधीग्राम, करूर, ग्वालियर और मथुरा जैसे अन्य छोटे स्थानों पर भी पहुंचने के लिए ध्यान केंद्रित किया। युवाओं के लिए मेरा मुख्य संदेश है, "निष्ठा के साथ कार्य करो और पूर्णता के साथ सफलता पाओ। सपने देखो, जिसकी परिणति व्यक्तिगत विकास के लक्ष्य और राष्ट्र के विकास में हो तथा अच्छी किताबों, अच्छे अध्यापकों और अच्छे इंसानों के माध्यम से जहां तक संभव हो ज्ञान प्राप्त करो।"
युवाओं को प्रेरित करने के अलावा मैं तीन शोध छात्रों का मार्गदर्शन भी कर रहा हूं। इनमें से एक मस्तिष्क से संबंधित शोध, दूसरा आईसीटी ज्ञान उत्पादों और तीसरा शिक्षा और अर्थव्यवस्था से संबंधित शोध में लगा है।
मैंने 'लीड इंडिया मूवमेंट' के माध्यम से अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी भाग लिया। करीमनगर और मेढक जिलों में मैंने लीड इंडिया के युवकों को संबोधित किया, जहां लाख से ज्यादा युवक उपस्थित थे। लीड इंडिया मूवमेंट महाराष्ट्र में भी फैल गया है। इसमें प्रशिक्षित युवक 'मैं यह कर सकता हूं' की भावना से प्रेरित होकर कार्य करते हैं और क्षेत्र के अन्य युवकों में भी इस भावना का प्रसार कर रहे हैं।
इस एक वर्ष के दौरान मैंने अंतरिक्ष अनुसंधान, ऊर्जा स्वतंत्रता, स्वास्थ्य , कृषि, उद्योगों की सामाजिक जिम्मेदारी और शिक्षा पर कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों को संबोधित किया। मैंने सन् 2050 के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध कार्यक्रमों की भी पहचान की है।
मैंने विश्व अंतरिक्ष विजन 2050 भी दिया है। मैंने विश्व मंच पर सुझाव दिया है कि अंतरिक्ष में भेजने की प्रति किलोग्राम लागत 20 हजार डालर से घटाकर दो हजार करने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए।
आने वाले वर्ष में मेरा इरादा देश के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को प्रेरित करने और उनके बीच बेहतर शिक्षा के प्रसार के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर जोर देने का है। इसके लिए अंतरिक्ष विभाग की सहायता ली जाएगी। मैं युवाओं से आग्रह करता हूं कि वे अपनी ऊर्जा का उपयोग पृथ्वी को समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाने के लिए करें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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