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मुख्यमंत्री पीलूपुरा क्यों नहीं आईं : बैंसला

By Staff
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बयाना (राजस्थान), 26 मई (आईएएनएस)। अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के मुद्दे पर शुरू किए गए आंदोलन के चौथे दिन आज गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि वह अपना संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बयाना आई थीं फिर वह पीलूपुरा क्यों नहीं आईं।

बयाना (राजस्थान), 26 मई (आईएएनएस)। अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के मुद्दे पर शुरू किए गए आंदोलन के चौथे दिन आज गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि वह अपना संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बयाना आई थीं फिर वह पीलूपुरा क्यों नहीं आईं।

बैंसला ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को रूबरू आकर बातचीत करने को कहा।

बैंसला ने आईएएनएस को बताया, "वह (वसुंधरा राजे) बयाना आई थीं। फिर वह पीलूपुरा क्यों नहीं आई जहां पुलिस और त्वरित कार्रवाई बल ने अनेक निर्दोष गुर्जरों को मारा है ? वह यहां आकर मृतकों के परिवार वालों को सांत्वना प्रकट कर सकती थीं।"

बैंसला के अनुसार, "उनमें गुर्जरों को अपना मुंह दिखाने की हिम्मत नहीं है। यदि सरकार चाहती है कि मसले का हल निकले तो वसुंधरा को पीलूपुरा आकर मुझसे मिलना चाहिए।"

उल्लेखनीय है कि राजे रविवार को भरतपुर जिला में बयाना गई थीं। बैंसला ने कहा कि गुर्जर राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को उनके लिए अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल किए जाने के लिए सिफारिशी पत्र से कम पर नहीं मानेंगे।

उन्होंने कहा कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और जब तक राज्य सरकार उनकी बात नहीं मान लेती, पीछे हटने का कोई सवाल नहीं।

उधर पीलूपुरा में मारे गए व्यक्तियों में से 12 शव आज तीसरे दिन भी खुले मैदान में पड़े रहे जिस कारण हालात काफी तनावपूर्ण हैं। बाहरी क्षेत्रों से भी गुर्जर समाज के अनेक लोग अपने साथियों की मदद को आ पहुंचे हैं।

गुर्जर समाज के दूसरे प्रमुख नेता कैप्टन हरप्रसाद तिगड़िया ने कहा, "राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कहां है। बेकसूरों को मारकर उसका इल्जाम हमारे सिर मढ़ा जा रहा है। क्या यह किसी को नजर नहीं आता।"

उन्होंने कहा कि राजस्थान में ही 75 लाख गुर्जर हैं। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के गुर्जर समुदाय को भी आंदोलन शुरू करने को कहा है।

अब तक गुर्जर आंदोलन के कारण भड़की हिंसा में 37 व्यक्तियों की जान जा चुकी है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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