जनजातीय समाज पर चढ़ा आधुनिकता का रंग
भोपाल, 24 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के जनजातियों पर अब आधुनिकता का रंग चढ़ने लगा है। वे अपनी परंपरा से दूर होने लगे हैं। मंडला जिले के बैगा जनजाति के विवाह समारोह को देखकर कुछ ऐसा ही लगता है।
मध्य प्रदेश का मंडला जिला जनजाति बहुल इलाका है। यहां गौड़ और बैगा जनजातियों की बहुलता है। इस इलाके के बैगा जनजाति के सभी समारोह परंपरागत तरीके से होते रहे हैं। लेकिन अब इसमें परिवर्तन नजर आने लगा है। शादियों में ढोल नगाड़े की बजाए बैंड बाजे और डीजे सुनाई देने लगे हैं।
बैगा जनजाति के दूल्हे के लिबास में पेड़ की पत्ती व बांस से बनी पगड़ी और लाल चोला जरूर होता था, लेकिन उनकी जगह अब रंग बिरंगी पगड़ी और सूट व पैंट शर्ट ने ले ली है।
अब तो पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ गाए जाने वाले गीत भी कम ही सुनाई देते हैं। उनकी जगह लाउड स्पीकरों में बजने वाले बालीवुड के संगीत ने ले ली है।
एक समय था जब जनजातीय बारात के लिए बैल गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे या पैदल ही यात्रा कर लेते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब इनकी बारात आधुनिक वाहनों पर सवार होकर निकलने लगी है।
जनजातीय समुदाय के लिए लंबे अरसे से काम करने वाले श्रीराम तिवारी भी मानते हैं कि जनजातीय रीति रिवाज में बदलाव आने लगा है। उनका मानना है कि बदलाव की बयार जनजातियों तक भी पहुंच रही है।
तिवारी का कहना है मंडला के जनजाति पढ़ लिख रहे हैं, संगीत सुन रहे हैं। लिहाजा उन पर इसका असर होना लाजमी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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