वाराणसी को हेरिटेज सिटी बनाने की कवायद तेज
वाराणसी, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी काशी में प्राचीन धरोहरों को सहेजने और समय-समय पर इसे हेरिटेज सिटी घोषित कराने की कवायद होती रही है। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के वाराणसी दौरे के बाद से इसकी कवायद एक बार फिर तेज हो गई है।
इसके लिए यहां के विकास प्राधिकरण ने शासन के पास यहां की 71 ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों की सूची भेजी है।
शासन को भेजी गई सूची में काशी की एतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों में यहां के घाटों के अलावा जगन्नाथ मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, रामेश्वर मंदिर, नेपाली मंदिर, मंगला गौरी मंदिर, मणकिर्णकिा घाट, सारनाथ, सहित घाटों, मंदिरों, कुंडों और अनूठे भवनों को शामिल किया गया है। वाराणसी को हेरिटेज सिटी घोषित करने का प्रस्ताव सबसे पहले सन 2002 में भेजा गया था। उसके बाद 2003 से सितम्बर 2007 तक लगातार पत्र भेजे जाते रहे हैं।
यूनेस्को ने भी 2005 में नियमों में परिवर्तन कर हेरिटेज सिटी के नाम पर प्रस्ताव मांगना शुरू किया। काशी को हेरिटेज सिटी घोषित करने के लिए पूर्व में जो प्रस्ताव भेजे गए हैं उसमें काशी की जीवंत परम्परा और संस्कृति के अलावा राज घाट से अस्सी घाट तक के अधिकांश घाट, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों इमारतों को शामिल किया था।
प्रशासन के लोगों का कहना भी है की सितंबर 2006 में जयपुर में यूनेस्को के सहयोग से सम्मेलन आयोजित किया गया था। जिसमें काशी को हेरिटेज सिटी घोषित करने की सहमति भी बनी थी।
वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव एस. आशुतोष के अनुसार वाराणसी विकास प्राधिकरण ने एक सर्वे कराया था यह सर्वे यहां की कौटिल्य सोसाइटी ने किया था और कौटिल्य सोसाइटी ने एक रिपोर्ट बनाई थी जिसे हम लोगों ने यूनेस्को को भेज दिया है जो प्रस्ताव हमने अभी तक भेजा है उसमें नगर निगम के नियमों में संशोधन के लिए भी लिखा गया है और अगर हमें वहां से अनुमति मिल जाती है तो हम लोग इसको वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनाने के लिए आगे बढ़ जाएंगे।
सचिव साहब बताते हैं कि वाराणसी एक ऐसा शहर है जहां गंगा उत्तर वाहिनी है गढ़वा घाट से लेकर आदि केशव मंदिर तक गंगा अर्ध चंद्रकार प्रवाहित होती है। इसी पतित पावनी गंगा के किनारे कई प्राचीन तीर्थ और मंदिर स्थापित हैं जिनका अनुरक्षण और संवर्धन बहुत जरूरी है।
दुनिया के सबसे पुराने शहर काशी के घाट मंदिर और इमारत सदियों से भारतीय संस्कृति की वो धारा बहा रही है जिसमे गोता लगाने के लिए देश से ही नही बल्कि सात समन्दर पार से भी लोग खींचे चले आते हैं। लेकिन अब इनकी दीवारें कमजोर पड़ने लगी है।
यही वज़ह है की इसे हेरिटेज सिटी घोषित करने की मुहिम तेज कर दी गई है और यह शहर अगर ऐतिहासिक नगर घोषित हो गया तो इसके इमारतों और घाटों से बहने वाली संस्कृति की धारा और तेज हो जाएगी। सूत्रों की खबरों पर यदि विश्वास किया जाए तो यूनेस्को की सूची में वाराणसी को हेरिटेज सिटी का दर्जा मिल चुका है बस इसकी औपचारिक घोषणा भर होना बाकी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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