अधिक काम से उड़ रही है भारतीयों की नींद
नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। विशेषज्ञों के अनुसार दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद रात में भी सही नींद न लेना भारतीयों में अनिद्रा (इंसोम्निया) को बढ़ावा दे रहा है।
नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। विशेषज्ञों के अनुसार दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद रात में भी सही नींद न लेना भारतीयों में अनिद्रा (इंसोम्निया) को बढ़ावा दे रहा है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में स्नायु चिकित्सक गरिमा शुक्ला ने आईएएनएस को बताया, "लगभग दस फीसदी भारतीय नींद की बीमारियों से पीड़ित हैं और यह समस्या लगातार बढ़ रही है। हमारी युवा पीढ़ी यहां तक कि स्कूल जाने वाले बच्चे भी इंसोम्निया के शिकार हो रहे हैं। लंबे समय तक काम करने के बाद टीवी देखना और इंटरनेट पर बैठना इस बीमारी के प्रमुख कारण हैं।"
शुक्ला ने बताया कि इन बातों के अतिरिक्त काम का दबाव, बदलता सामाजिक-आर्थिक परिवेश भी नींद न आने का प्रमुख कारण है।
सर गंगाराम अस्पताल की स्नायु चिकित्सक मनवीर भाटिया ने कहा, "पहले मुझे सप्ताह में एक या दो रोगी ऐसे मिलते थे जो नींद की बीमारी से पीड़ित थे लेकिन अब उनकी संख्या 20 तक पहुंच गई है।"
उन्होंने कहा कि उन महिलाओं को इंसोम्निया होने की संभावना ज्यादा है जो घरेलू काम-काज के साथ साथ बाहर नौकरी भी करती हैं।
भाटिया ने कहा कि यह बीमारी हमारी चयापचय की प्रक्रिया को परिवर्तित कर सकती है जिससे इंसोम्निया के मरीज डायबिटीज और मोटापे के शिकार हो रहे हैं।
गौरतलब है कि चिकित्सकों के डर को सही साबित करते हुए बड़ी संख्या में युवाओं ने माना है कि वे नींद की बीमारी से पीड़ित हैं और नींद की गोलियां लेकर सोते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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