नाटो विस्तार की बहस में अफगानिस्तान से ध्यान हटा
बुकारेस्ट, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की बैठक के दूसरे दिन गुरुवार को संस्था के विस्तार पर उठी बहस का असर उसके केंद्रीय मुद्दे अफगानिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों द्वारा शांति बहाली की बातचीत पर पड़ता दिखाई दिया।
गुरुवार की बैठक में गठबंधन के नेताओं द्वारा अफगानिस्तान के केंद्रीय मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामीद करजाई और यूरोपीय संघ परिषद के राष्ट्रपति जोस मैनुअल बारोसो की मौजूदगी में एक घोषणा पत्र जारी किया गया।
घोषणापत्र में कहा गया है कि अफगानिस्तान में सेना के समुचित इस्तेमाल पर 'अधिकतम संभावित लचीलापन' अपनाया जाएगा और सेना की मौजूदा कमी को दूर किया जाएगा।
इससे पूर्व, बैठक में जॉर्जिया और यूक्रेन द्वारा नाटो के नए सदस्यों के रूप में शामिल होने की इच्छा पर विरोधी स्वर सुनाई पड़े।
दोनों देशों को दी जाने वाली सदस्यता पर नाटो नेताओं की ओर से कोई पुख्ता बयान नहीं आया है। हालांकि, लंबी बहस के बाद इस विषय पर दिसंबर में 'प्रथम आंकलन' किए जाने की घोषणा हुई है।
उधर, ग्रीस ने भी मैसीडोनिया की नाटो सदस्यता का विरोध करते हुए उसके आधिकारिक नाम पर आपत्ति दर्ज की और कहा कि इससे 'मैसीडोनिया' नामक ग्रीस राज्य को लेकर उलझाव वाले हालात पैदा होंगे।
ग्रीस का कहना है कि जब तक नाम का यह विवाद नहीं सुलझता, वह मैसीडोनिया की नाटो सदस्यता को मंजूरी नहीं देगा। इसके विरोध में मैसीडोनिया के नेताओं ने बैठक से वाकआउट किया।
इसके अतिरिक्त नाटो नेताओं ने अल्बानिया और क्रोएशिया को नए सदस्यों के रूप में मंजूरी दी।
गौरतलब है कि गुरुवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने अफगानिस्तान में 700 अतिरिक्त सेना भेजने की घोषणा की है।
फ्रांस के इस प्रयास के बाद अफगानिस्तान में फौज की कमी पर उठी बहस पर विराम लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
इसके साथ ही बैठक में चेक गणराज्य की ओर से अपने यहां अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थापित करने पर देश की जनता को अपने पक्ष में लेने की घोषणा की गई।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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