धूम्रपान के लिए प्रेरित करता है जीन
सिडनी, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। एक नये अध्ययन से पता चला है कि फेफड़े का कैंसर और धमनियों की बीमारी को जन्म देने वाले धूम्रपान की प्रवृत्ति वास्तव में जेनेटिक बदलाव से भी विकसित हो सकती है।
ओटागो विश्वविद्यालय द्वारा सात देशों के 3,700 लोगों पर अध्ययन किया गया। इनमें से कुछ फेफ ड़े और धमनियों से संबंधित बीमारियों से पीड़ित पाए गए। बाद में 30 हजार ऐसे लोगों पर अध्ययन किया गया जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी।
विश्वविद्यालय के ग्रेग जोंस ने बताया कि जेनेटिक परिवर्तन के समय लोगों के मस्तिष्क की ग्रंथी में निकोटिन अधिक क्रियाशील हो जाते हैं। परिणामस्वरुप लोगों में धूम्रपान करने की प्रवृत्ति अधिक सक्रिय हो जाती है।
जोंस ने बताया, "धूम्रपान की प्रवृत्ति अधिक होने के कारण लोगों में फेफड़े का कैंसर होने की संभावना 18 फीसदी और धमनियों की बीमारी होने की आशंका 10 फीसदी अधिक हो जाती है।"
गौरतलब है कि धूम्रपान फेफड़े और धमनियों से संबंधित दूसरी बीमारियां होने का सबसे बड़ा कारण है।
इस अध्ययन के निष्कर्ष 'नेचर' नामक जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित होंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।