कोरा संगीत नहीं ् पूरी सभ्यता है भारतीय शास्त्रीय संगीत
उदयपुर. 13 फरवरी .वार्ता. भारतीय शास्त्रीय संगीत कोरा संगीत नहींबल्कि अपने आप में एक पूरी सभ्यता है ् संस्कृति है1इसे सीखने वालाकेवल संगीत नहीं बल्कि पूरी संस्कृति को आत्मसात करता है1संगीतसीखने के साथ ही पूरी की पूरी सभ्यता उसमें समा जाती हैं
यह कहना है कि संतूर वादन के बादशाह पंडित शिवकुमार शर्माका 1वे आज प्रख्यात: तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के साथपत्रकारों से बातचीत कर रहे थे1दोनों हस्तियां यहां पंडित चतुर लाल स्मृति शास्त्रीय संगीत संध्या स्मृतियां में प्रस्तुति देने उदयपुर आये थे
पंडित शर्मा ने कहा कि रजवाडों के वक्त राजा महाराजा विभिन्नकलाओं को प्रश्य दिया करते थे1कवि. गायक. वादक. वैद्य. ज्योतिष. पहलवान आदि राज्याश्रय के सहारे देस दुनिया में कला का डंका बजातेथे1लेकिन आज ऐसा नहीं है 1अब कलाकार अपने ही दम पर कलासीख रहा है और कला बांट भी रहा है 1हालांकि अच्छे कलाकारों कोविभिन्न प्रकार के पुरस्कार समय .समय पर मिलते हैं लेकिन पुरस्कार सेकला का क्या भला होता हैं
पंडित शर्मा ने कहा कि उनकी राय में कॉरपोरेट जगत की हस्तियंाही आज के दौर की राजा हैं जिन्हें कला के संरक्षण संवर्द्धन के लिये आगेआना चाहिये और राजे रजवाडों की भांति कलाकारों को प्रश्य देनाचाहिये
सं.मुकेश नंद1738 जारी.वार्ता