महाराष्ट्र की राजनीति में लातूर का राजनीतिक वर्चस्व बढेगा
नयी दिल्ली 23 जनवरी.वार्ता. महाराष्ट्र के राजनीतिक पटल पर कभी राज्य के पश्चिम क्षेत्र में सातारा.सांगली का तो कभी पुणें जिले के बारामती तो कभी कपास की भारी फसल के लिये प्रसिध्द विदर्भ के गांव पुसद का वर्चस्व हुआ करता था लेकिन आज इस कडी में राज्य के अत्यधिक पिछडा क्षेत्र मराठवाडा के लातूर का नाम जुड गया है और यह इस समय राजनीतिक गतिविधियों का मुख्य केन्द्र बन गया है
आजादी से पूर्व हैदराबाद के निजाम शासन का हिस्सा रहा मराठवाडा क्षेत्र भारी संघर्ष के बाद महाराष्ट्र में शामिल हो गया और अब प्रगति और विकास की दिशा में अग्रसर है1 लेकिन राज्य के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले मराठवाडा को आज भी पिछडा क्षेत्र माना जा रहा है1 मुख्यमंत्री ए आर अंतुले की सरकार ने 1928 में लातूर को उस्मानाबाद से अलग कर एक नया जिला बनाया और इसके 25 साल पूरे होने पर आज लातूर की रजत जयंती मनायी गई
लातूर के रजत जयंती समारोह पूरे वर्ष जिले के अलग अलग स्थानों पर भारी उत्साह के साथ मनाये गये और इस जयंती समारोह का समापन समारोह गत सप्ताह 18 जनवरी को हुआ1 जिसमें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल मुख्य अतिथि के रुप में शामिल थीं1 मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख और केन्द्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल का .गृह जिला. होने के कारण दोनों .केन्द्र. में थे पूरे समय श्री देशमुख छाए रहे
श्री देशमुख ने कहा कि लातूर को जिला बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों को अपने साथ लेकर लम्बे समय तक उन्होंने प्रयास किया था1 राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने श्री देशमुख ने कहा कि देश के .टाप टेन. शहरों में लातूर को शामिल करने का सपना साकार करने की दिशा में सामूहिक प्रयास की जरत है
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि लातूर जिला रजत जयंती समारोहों में श्री देशमुख की अहम् भूमिका रही है राज्य की राजनीति में उनका स्थान पहले की तुलना में अब और ज्यादा महत्वपूर्ण होगा1 पूर्व में पश्चिम महाराष्ट्र के सातारा और सांगली से पूर्व मुख्यमंत्री क्रमश. यशवंतराव चव्हाण. वसंतदादा पाटिल का वर्चस्व था तो बाद में विदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव नाईक का पुसद फिर केन्द्रीय कृष िमंत्री शरद पवार का बारामती रहा था लेकिन पिछले कुछ वषो से लातूर राजनीतिक वर्चस्व का केन्द्र बन गया है
प्रमोद संजीव जगबीर1724वार्ता