CBSE और ICSE की नंबर स्कीम बिल्कुल सही और वाजिब- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीमकोर्ट ने सीबीएसई और आईसीएसई के परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
नई दिल्ली, 22 जून। सुप्रीमकोर्ट ने सीबीएसई और आईसीएसई के परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया और छात्रों के परीक्षा पैटर्न का मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड द्वारा लाई गई मूल्यांकन योजना को आगे बढ़ाने की भी अनुमति दी।
कोर्ट के इस फैसले के बाद अब छात्रों का रिजल्ट बोर्ड द्वारा लाई गई मूल्यांकन योजना के आधार पर ही जारी किया जायेगा। कोर्ट ने कहा कि सरकार और बोर्ड दोनों की छात्रों को लेकर चिंतित हैं, इसलिए परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला लिया गया है।
कुछ अभिभावकों और छात्रों की याचिका को खारिज करते हुए जिन्होंने भौतिक परीक्षा का विकल्प मांगा था, जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की अवकास पीठ ने शिक्षा बोर्ड के प्रस्तावों को निष्पक्ष और उचित ठहराया।
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बता दें कि 1,152 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट से कक्षा 12 की निजी, कंपार्टमेंट परीक्षाओं को रद्द करने के लिए मांग करते हुए याचिका दायर की थी और कहा था कि नियमित छात्रों के साथ समानता का व्यवहार किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि परीक्षा में 20 लाख परीक्षार्थी बैठेंगे, इनके लिए संसाधनों का इंतजाम भी करना होगा। इस बात की जिम्मेदारी कौन लेगा। ये भी पता नहीं है कि परीक्षा हो भी पाएगी या नहीं। बोर्ड ने छात्रों की बात सुनकर ही ये फैसला लिया है कि परीक्षा को रद्द किया जाए और इस स्कीम पर अदालत ने भी मुहर लगाई है। अब हम इसी पर रहना चाहते हैं।
कुछ अभिभावकों और छात्रों द्वारा नई मूल्याकंन प्रक्रिया का विरोध करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा हमारे पास सीबीएसई और आईसीएसई की स्कीम में दखल देने का कोई कारण नहीं हैं। साथ ही कोर्ट ने 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच कंपार्टमेंट परीक्षा आयोजित करने की सीबीएसई की योजना को भी स्वीकार कर लिया।
सीबीएसई और आईसीएसई की मूल्यांकन नीति पर मुहर लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि यह फैसला जनहित में लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वैकल्पिक परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम अंक माना जाएगा. परीक्षा परिणाम 31 जुलाई तक घोषित होंगे।