Fact Check: सामान्य फ्लू से ज्यादा खतरनाक नहीं कोविड-19? जानिए वायरल मैसेज का सच
नई दिल्ली, 05 अक्टूबर: पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी से लड़ रही है, हालांकि अब कोरोना पर धीरे-धीरे दुनिया काबू पाने की कोशिश कर रही है, वहीं कोरोना के नए मामलों में भी पूरी दुनिया से कमी देखने को मिली है। वहीं भारत में कोरोना की दूसरी लहर के आतंक के बाद अब नए मामलों में भारी गिरावट देखने को मिली है, बस एक दो राज्यों को छोड़ दे तो इधर सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर एक न्यूज का स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि कोरोना सामान्य फ्लू से ज्यादा खतरनाक नहीं है। आखिरक क्या है इस वायरल मैसेज को सच्चाई जानिए।
सोशल मीडिया पर आजकल लोग कुछ भी बिना सोचे समझे शेयर करने में लग जाते हैं। कोविड-19 वायरस के इस दौर में इंटरनेट पर सच्ची खबरें कम और फेक न्यूज ज्यादा वायरल की जा रही है। ऐसे में अब एक विदेशी न्यूज वेबसाइट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि नार्वे ने कोविड-19 को रिक्लासिफाइड यानी पुनर्वर्गीकृत किया है, जिसमें बताया गया है कि ये सामान्य फ्लू से ज्यादा खतरनाक नहीं है।
ऐसे में वायरल मैसेज को लेकर इंडिया टुडे में छपि रिपोर्ट के मुताबिक जानकारी मिली है कि नार्वे में कोरोना के मामलों में गिरावट के साथ देश में कोविड प्रतिबंध हटा लिया है, लेकिन देश ने कोरोना को फिर से वर्गीकृत नहीं किया है। साथ ही ये भी दावा नहीं किया गया है कि कोरोना सामान्य फ्लू से ज्यादा खतरनाक नहीं है। वायरल मैसेज की पड़ताल के लिए जब कीवर्ड खोज की तो मेन रिपोर्ट मिली है वो 23 सितंबर 'फ्री वेस्ट मीडिया' नाम की वेबसाइट में पब्लिश हुई थी, जिसका अब स्क्रीनशॉट वायरल किया जा रहा है।
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न्यूज रिपोर्ट में नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (NIPH) के एक वरिष्ठ अफसर के हवाले से स्टेटमेंट लिखा गया है, जिसमें बताया गया है कि अब हम कोरोना की एक नई स्टेज में हैं, जहां हमें कोरोना को मौसमी बदलाव के साथ कई सांस से जुड़े रोगों में से एक के रूप में देखना चाहिए। इस पर अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका 'न्यूजवीक' ने वायरल दावे पर एनआईपीएच से संपर्क किया था। जिसमें बताया गया कि यह सही नहीं है कि नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ ने दावा किया है कि कोविड सामान्य फ्लू से ज्यादा खतरनाक नहीं है। यह बयान शायद वीजी में इंटरव्यू का गलत व्याख्या है।
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वहीं आपको बता दें कि प्रभावी टीकाकरण अभियान और कोरोना के मामलों की संख्या में कमी के बाद नार्वे सरकार ने 26 सितंबर को कोविड प्रतिबंध हटा लिया था, लेकिन कभी भी बीमारी को पुनर्वर्गीकृत नहीं किया या इसकी तुलना सामान्य फ्लू से नहीं की। ऐसे में वायरल मैसेज पूरी तरह से फेक है।
Fact Check
दावा
कोरोना सामान्य फ्लू से ज्यादा खतरनाक नहीं है
नतीजा
वायरल मैसेज का दावा पूरी तरह से फेक हैं।