Fact Check: क्या वाकई में सरकार ने सांसद भत्ते में बढ़ोत्तरी को मंजूरी दे दी है? जानें सच
नई दिल्ली। देश में आए दिन गैस सिलेंडर और पेट्रोल-डीजल के दामों के बीच सोशल मीडिया पर एक अखबार की कतरन वायरल हो रही है जिसमें लिखा है कि सरकार ने सांसद भत्ते में बढ़ोत्तरी को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद फेस बुक पर पेपर की ये कटिंग पोस्ट करके यूजर्स जमकर मोदी सरकार पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। आइए जानते हैं इस वायरल खबर में कितनी सच्चाई है?

फैक्ट चेक में निकला ये सच
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (एएफडब्ल्यूए) ने पाया है कि अखबार की कतरन अभी की नहीं बल्कि 2018 की है जब केंद्रीय कैबिनेट ने सांसदों के मासिक भत्ते में 55 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी। हाल ही में मप्र भत्ते में और बढ़ोतरी नहीं हुई है। बल्कि, पिछले साल महामारी के कारण सांसद भत्ते और वेतन में कमी की गई थी।

सांसद भत्ते में कोई वृद्धि नहीं हुई
फैक्ट चेक में कीवर्ड खोज की मदद से पाया गया कि अख़बार की कतरन की छवि 2018 में वायरल हुई जब कई यूजर ने इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। फरवरी 2018 से कई समाचार रिपोर्टों ने पुष्टि की थी कि केंद्र ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनुमोदन के बाद सांसद भत्ते में वृद्धि की थी। इन रिपोर्टों के अनुसार, संसद सदस्यों (सांसदों) के मासिक भत्ते में 40,000 रुपये प्रति माह की वृद्धि करने की योजना बनाई गई थी, जिसमें केंद्रीय कैबिनेट ने 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी की मंजूरी दी थी। लेकिन कोई भी हालिया मीडिया रिपोर्ट यह नहीं बताती है कि केंद्र सरकार ने सांसद भत्ते को और बढ़ाने का फैसला किया है।

सांसदों की मोदी सरकार ने कोरोना महामारी में की है कटौती
पिछले साल सांसदों को महामारी के कारण वेतन कटौती और भत्ते में कमी का सामना करना पड़ा। 7 अप्रैल, 2020 को, "द इकोनॉमिक टाइम्स" ने कहा कि सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्र और कार्यालय भत्ते से हर महीने 27,000 रुपये का भुगतान करना होगा। यह मासिक वेतन में 30 प्रतिशत कटौती के अलावा था। जिसके बाद साफ है कि सांसदों के लिए मासिक भत्ते में हाल ही में कोई वृद्धि नहीं हुई है।

Fact Check
दावा
सरकार ने सांसद भत्ते में बढ़ोत्तरी को मंजूरी दे दी
नतीजा
बिलकुल फर्जी खबर है, तीन साल पहले की अखबार की कटिंग सर्कुलेट हो रही है।