अगर घर बनाते समय हो गई है गलती तो जरूर करें ये उपाय
किसी ऑफिस में वास्तुदोष हो तो वहां कभी तरक्की नहीं होती और यदि घर में वास्तुदोष हो तो उसमें रहने वालों के बीच अनबन बनी रहती है।
नई दिल्ली। वास्तुशास्त्र किसी घर, दुकान, कारखाने आदि के लिए बहुत जरूरी है। इन स्थानों पर यदि कोई वास्तुदोष रह जाए तो कई तरह की परेशानियां आने लगती है। किसी ऑफिस में वास्तुदोष हो तो वहां कभी तरक्की नहीं होती। कर्मचारियों के बीच तालमेल नहीं रहता और यदि घर में वास्तुदोष हो तो उसमें रहने वालों के बीच अनबन बनी रहती है।
जानिए अपने घर से कैसे दूर करें नकारात्मक उर्जा?
आर्थिक तंगी, बीमारियां बार-बार परेशान करती हैं। वैसे तो वास्तु के नियमों का ध्यान घर बनाने से पहले ही रखा जाना चाहिए, लेकिन यदि यदि घर बन गया है तो क्या किया जाए। वास्तुशास्त्र में इसके लिए भी उपाय बताए गए हैं। जिन्हें अपनाकर जीवन को सुखी बनाया जा सकता है।
ईशान्य पात्र
वास्तुशास्त्र की भारतीय और चीनी दोनों पद्धतियों में ईशान्य पात्र का बड़ा महत्व बताया गया है। ईशान्य पात्र से 60 फीसदी वास्तु दोषों का निवारण हो जाता है। ईशान्य पात्र तांबे का होता है, जिस पर चांदी के पतरे पर ओम नमः शिवाय मंत्र उत्कीर्ण रहता है। इस पर पारदर्शी स्फटिक का शिवलिंग होता है। पीछे श्रीयंत्र दर्पण होता है। इस पर लगातार सिंचन करने वाला छोटा जल झरना होता है। ईशान दिशा के सभी गुण होने के कारण यह पात्र दोषों का निवारण करने में चमत्कारिक रूप से असर दिखाता है। ईशान्य पात्र न हो तो आप ईशान कोण में तांबे के बर्तन में पानी रखकर उस पर एक चांदी की तश्तरी रखें। तश्तरी में चार मोती रखें। इससे प्रकाश किरणे चारों ओर फैलेंगी और उससे सकारात्मक उर्जा का संचरण होगा।
वायव्य यंत्र
उत्तर-पश्चिम दिशा के मध्य की दिशा वायव्य दिशा होती है। योगशास्त्र के अनुसार हवा का रंग नीला माना गया है और इस दिशा में मधुर ध्वनियों का महत्व है। चीनी वास्तुशास्त्र के अनुसार वायव्य दिशा में नीले रंग की मधुर ध्वनि निकालने वाली घंटियां लगाने से वास्तुदोष दूर होते हैं। इसे ही वायव्य यंत्र कहा जाता है। परिवार के सदस्यों में अनबन रहती हो। दांपत्य जीवन संकटपूर्ण हो। संतान आपकी बात नहीं मानती तो वायव्य यंत्र सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करता है।
शनि तारका
पश्चिम दिशा में शनि तारका यानी कोई दर्पण या क्रिस्टल रखने से पश्चिम दिशा से उत्पन्न समस्त वास्तुदोषों का निवारण होता है। दर्पण या क्रिस्टल पर शनि का प्रभाव होता है इसलिए इसे शनि तारका कहा जाता है। पश्चिम दिशा में दर्पण या क्रिस्टल रखने से पूरे घर में वैश्विक उर्जा की आपूर्ति होती है। नकारात्मक उर्जा घर से बाहर निकलती है और उस घर में रहने वाले लोगों के मन में उत्साह, उमंग, प्रेम का संचरण होता है।
कुछ ये अनुभूत प्रयोग भी अपना सकते हैं
- नए घर में रहने जाने से पूर्व उसकी वास्तुशांति करवानी चाहिए। सोसायटी या फ्लैट की वास्तुशांति यदि बिल्डर ने करवाई है तो भी आप पुनः करवाएं।
- गृहप्रवेश के बाद अपने कुलदेवता के चरणों में श्रीफल अर्पित कर उसे घर के पूजा स्थान में रखें।
- नए मकान में हनुमान चालीसा और रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
- आर्थिक दृष्टि से संपन्न व्यक्ति प्रत्येक वर्ष अपने घर में नवचंडी यज्ञ करवाएं।
- वर्ष में एक बार अमावस के दिन दही, चावल एवं नारियल पूरे घर से उतारकर बाहर फेंक दें।
अमावस के दिन दही, चावल
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