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Som Pradosh Vrat 2020: धन संपत्ति की प्राप्ति के लिए अवश्य करें सोम प्रदोष व्रत

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार आता है। यह व्रत किसी भी वार को आ सकता है और प्रत्येक वार के अनुसार इसका अलग-अलग फल और महत्व होता है। चूंकि इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है और सोमवार को इस व्रत का आना अपने आप में महत्वपूर्ण हो जाता है। इस बार 20 अप्रैल 2020 को सोम प्रदोष व्रत का शुभ संयोग बन रहा है। सोमवार के दिन प्रदोष का आना अत्यंत शुभ और सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला माना गया है क्योंकि सोमवार भगवान शिव का ही दिन है।

 सोम प्रदोष व्रत कैसे करें

सोम प्रदोष व्रत कैसे करें

सोम प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत होकर शुद्ध, श्वेत वस्त्र धारण करें। अपने पूजा स्थान को शुद्ध जल से साफ करें और प्रदोष व्रत का संकल्प लें। त्रयोदशी के दिन प्रदोषकाल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व शिवजी का पूजन करें। सामान्यतौर पर सोम प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4.30 से 7 बजे के बीच की जाती है। पूजा से पहले व्रती स्नान करे और शुद्ध सफेद आसन पर बैठकर शिवजी का पूजन करें। दिनभर निराहर रहे। शिवमहिम्न स्तोत्र से शिवजी का अभिषेक करें। मिष्ठान्न का नैवेद्य लगाएं।

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सोम प्रदोष व्रत की कथा

सोम प्रदोष व्रत की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका कोई आश्रयदाता नहीं था इसलिए प्रातः होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो राह में उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर में रहने लगा।

राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए

एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार भा गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया।

ब्राह्मणी प्रदोष का व्रत करती है...

ब्राह्मणी प्रदोष का व्रत करती है...

ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुनः प्राप्त कर आनंदपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही शंकर भगवान अपने सभी भक्तों के दिन भी फेरते हैं। अतः सोम प्रदोष का व्रत करने वाले सभी भक्तों को यह कथा अवश्य पढ़नी अथवा सुननी चाहिए।

क्या विशेष करें इस दिन

यदि आप धन-संपदा प्राप्त करना चाहते हैं तो सोम प्रदोष के दिन सायंकाल भगवान शिव का शहद से अभिषेक करें और उन्हें तीन मुट्ठी साबुत चावल अर्पित करें।
सोम प्रदोष के दिन कच्चे दूध से शिवजी का अभिषेक करने से मानसिक सुख, पारिवारिक शांति और दांपत्य सुख प्राप्त होता है। अविवाहित युवक-युवतियां जिनके विवाह में बाधा आ रही हैं वे यदि यह प्रयोग करेंगे तो उनकी समस्त ग्रह पीड़ा शांत होगी।
बीमारी से मुक्ति के लिए सोम प्रदोष के दिन महामृत्युंजय मंत्र की 108 आवृत्ति के साथ शिवजी का पंचामृत से अभिषेक करें। शीघ्र स्वस्थ होंगे।
नौकरी में तरक्की नहीं हो पा रही है, व्यापार स्थापित नहीं हो पा रहा है तो शिवजी को अक्षत और 108 बिल्वपत्र अर्पित करें। दूध से बनी मिठाई का भोग शिवजी को लगाने से समस्त सुख प्राप्त होते हैं। आर्थिक संकट दूर होते हैं।
विद्यार्थी परीक्षा में सफलता के लिए प्रदोष के दिन शिवजी को मिश्री अर्पित करें।
कर्ज मुक्ति के लिए शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल अर्पित करें।
यदि किसी प्रकार की तंत्र बाधा है तो सोम प्रदोष के दिन ठीक सूर्यास्त के समय एक सफेद कपड़े में तीन श्रीफल बांधकर अपने ऊपर से सात बार घड़ी की सुई की दिशा में घुमाएं और इन्हें किसी शिव मंदिर में अर्पित कर आएं।
सोम प्रदोष के दिन शिव महिम्नस्तोत्र का जाप करते हुए कच्चे दूध से शिवजी का अभिषेक करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।

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English summary
Pradosh Vrat, which is also known as Pradosham in South India, is commemorated to seek the blessings of Lord Shiva.
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