Navratri 2020: कैसे प्रकट हुईं आदिशक्ति दुर्गा?
नई दिल्ली। नवरात्र अर्थात् देवी के नौ रूपों की उपासना का नौ दिवसीय पर्व, जब संपूर्ण सृष्टि ब्रह्मांड की आदिशक्ति की कृपा पाने के लिए प्रयत्नशील हो जाती है। पुराणों का अध्ययन करने पर यह बात सामने आती है कि ब्रह्मांड के प्रारंभकाल में केवल पुरुष देवता ही अस्तित्व में थे। सृष्टि का उद्भव भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जाग्रत होने, उनके नाभिकमल से ब्रह्मा जी के प्रकट होने के साथ होना ज्ञात होता है। इसके साथ ही इस बात का भी पता चलता है कि पहले दैवीय शक्तियां सभी भगवानों के भीतर ही निवास करती थीं।
फिर किस कारण से दैवीय शक्तियां स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आईं, कैसे और क्यों उनका प्राकट्य हुआ और क्यों उन्हें दुर्गा नाम से पुकारा गया, आज इसी संदर्भ में कथा सुनते हैं-
असुरों का पराक्रम अपने प्रचंड उत्कर्ष पर पहुंच चुका था...
यह उस समय की बात है, जब असुरों का पराक्रम अपने प्रचंड उत्कर्ष पर पहुंच चुका था और देवताओं में त्राहि-त्राहि मची हुई थी। असुरों के इस तरह प्रभावी होने का कारण था असुर राज दुर्गम, जिसे किसी भी तरह पराजित करना संभव नहीं हो रहा था। दुर्गम को वरदान प्राप्त था कि कोई भी नर, नारी या जानवर उसका वध नहीं कर सकते। इसी कारण से दुर्गम हर युद्ध में जीतता जाता था और उसने स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया था। हर तरह से पराजित और निराश देवता भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा जी की शरण में पहुंचे।
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कुंवारी कन्या ही दुर्गम को युद्ध में पराजित कर सकती थी...
लंबे विचार-विमर्श के बाद यह बात सामने आई कि कोई कुंवारी कन्या ही दुर्गम को युद्ध में पराजित कर उसका वध कर सकती है। इसके लिए समस्त देवताओं ने अपनी शक्तियों का आवाहन किया और अपना एक-एक अंश सम्मिलित किया। सभी की मिली-जुली शक्तियों से एक दिव्य प्रकाश पुंज प्रकट हुआ। इसी पुंज से आदिशक्ति स्वरूपा देवी का प्राकट्य हुआ। इस आदिशक्ति को सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां और अस्त्र-शस्त्र भेंट किए और देवी ने अपनी 18 भुजाओं से सभी के आशीर्वाद को ग्रहण और धारण किया।
देवी ने संपूर्ण असुरकुल का नाश कर दिया
इसके बाद देवी अपने सिंह पर सवार होकर असुरराज दुर्गम के सामने पहुंची और भयानक गर्जना के साथ अपने विभिन्न रूपों को एक साथ प्रकट किया। देवी के उस भयावह रूप को देखकर असुरराज समेत संपूर्ण असुर वंश में हड़कंप मच गया और सब भागने लगे। देवों पर हुए अत्याचारों से क्षुब्ध देवी ने देखते ही देखते असुरराज दुर्गम समेत संपूर्ण असुरकुल का नाश कर दिया।
तो इसलिए मां को दुर्गा नाम से पुकारा गया...
देवी के इस पराक्रम और अथाह शक्ति को देखकर सभी देवता उनके समक्ष नतमस्तक हो गए और उनकी वंदना कर उनसे शरण देने और रक्षा करने का वरदान लिया। असुर राज दुर्गम का संहार करने के कारण ही मां को दुर्गा नाम से पुकारा गया।
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